पंजाब के एजी के मुद्दे पर चन्नी को जाखड़ व तिवारी की आलोचना का सामना करना पड़ा

By भाषा | Updated: November 10, 2021 16:33 IST2021-11-10T16:33:19+5:302021-11-10T16:33:19+5:30

Channi faced criticism from Jakhar and Tiwari on the issue of AG of Punjab | पंजाब के एजी के मुद्दे पर चन्नी को जाखड़ व तिवारी की आलोचना का सामना करना पड़ा

पंजाब के एजी के मुद्दे पर चन्नी को जाखड़ व तिवारी की आलोचना का सामना करना पड़ा

चंडीगढ़, 10 नवंबर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य के महाधिवक्ता (एजी) को पद से हटाने को लेकर बुधवार को अपनी ही पार्टी के नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने चन्नी को ‘वास्तव में' समझौतावादी मुख्यमंत्री’ बताया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी की सरकार पर तंज सकते हुए कहा कि एजी के कार्यालय का राजनीतिकरण करना संवैधानिक पदाधिकारियों की विश्वसनीयता को "कमजोर" करता है।

चन्नी सरकार ने मंगलवार को राज्य के महाधिवक्ता एपीएस देओल के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया था। पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू उन्हें हटाने के लिए दबाव बनाए हुए थे।

चन्नी ने कहा है कि नए महाधिवक्ता को नियुक्त किया जाएगा। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए जाखड़ ने ट्वीट किया, "एक सक्षम लेकिन 'कथित तौर पर' समझौता करने वाले अधिकारी को हटाने से एक वास्तव में समझौता करने वाले मुख्यमंत्री का पर्दाफाश हो गया है।”

उन्होंने सवाल किया कि एक प्रासंगिक प्रश्न उठ रहा है कि “वैसे यह किसकी सरकार है?” अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नेताओं में शुमार थे।

तिवारी ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा कि पंजाब के दोनों पिछले महाधिवक्ता छद्म राजनीतिक युद्ध का शिकार हुए। तिवारी ने ट्वीट किया, “ जिन्होंने एजी के कार्यालय के संस्थान को नष्ट किया है, उन्हें यह याद रखना चाहिए कि किसी वकील का किसी मुवक्किल या मामले के प्रति लगाव नहीं होता है।”

उन्होंने कहा कि चूंकि पंजाब सरकार नए महाधिवक्ता को नियुक्त करने जा रही है, इसलिए उन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित पेशेवर मानकों के नियमों को पढ़ने की सलाह दी जाएगी।

कांग्रेस सांसद ने कहा, “किसी अदालत, अधिकरण या किसी अन्य प्राधिकार के समक्ष वकालत करने का इच्छुक कोई भी वकील कोई भी मामला अपने हाथ में लेने के लिए बाध्य है। उसे मामले की प्रकृति के अनुसार या बार में अपने समकक्ष सहयोगी अधिवक्ता के बराबर फीस लेनी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “ विशेष परिस्थितियों में ही उसके किसी मामले को अपने हाथ में लेने से मना करने को जायज ठहराया जा सकता है। एजी के कार्यालय का राजनीतिकरण करना संवैधानिक पदाधिकारियों की विश्वसनीयता को कमजोर करता है।”

सिद्धू देओल को हटाए जाने पर जोर दे रहे थे, जिन्होंने 2015 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के बाद पुलिस गोलीबारी की घटनाओं से संबंधित मामलों में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सिंह सैनी का प्रतिनिधित्व किया था।

सिद्धू कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति को लेकर भी अपनी ही पार्टी की सरकार पर निशाना साध रहे हैं। सहोता शिअद-भाजपा की पिछली सरकार की ओर से बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल के प्रमुख थे।

महाधिवक्ता और डीजीपी की नियुक्ति को लेकर चन्नी और सिद्धू दोनों के बीच तनातनी थी।

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Web Title: Channi faced criticism from Jakhar and Tiwari on the issue of AG of Punjab

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