यूपी में प्रभारी बदला, जल्दी ही संगठन में होगा फेरबदल, यूपी से जुड़ी रहेंगी प्रियंका गांधी, उनके लिए बनेगा नया पद
By राजेंद्र कुमार | Published: December 24, 2023 06:17 PM2023-12-24T18:17:07+5:302023-12-24T18:19:17+5:30
प्रियंका गांधी के साथ काम करने वाले सह प्रभारी और सचिवों को पार्टी मुख्यालय से बाहर कर उन्हे जिलों में संगठन को खड़ा करने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अविनाश पांडे को यूपी कांग्रेस का प्रभारी बनाकर शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी संगठन को राज्य में मजबूत बनाने को लेकर अपनी मंशा जता दी है। जल्दी ही संगठन में फेरबदल किया जाएगा, जिसके चलते महासचिव के बाद सचिवों की भी नई टीम बनाई जाएगी। पुराने कांग्रेसियों फिर से अहम पदों पर तैनात किया जाएगा।
प्रियंका गांधी के साथ काम करने वाले सह प्रभारी और सचिवों को पार्टी मुख्यालय से बाहर कर उन्हे जिलों में संगठन को खड़ा करने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी। इसके साथ ही प्रियंका गांधी के लिए यूपी में नया पद भी बनाया जाएगा, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि उन्होने यूपी से नाता नहीं तोड़ा है, बल्कि सूबे में कांग्रेस को बड़ी राजनीतिक ताकत बनाने लिए संगठन में फेरबदल किया गया है।
पुराने कांग्रेसियों के चेहरों में आई खुशी
कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत के अनुसार, यूपी में लंबे समय से ब्राह्मण चेहरे को बड़ी जिम्मेदारी देने की बात चल रही थी, लेकिन प्रमोद तिवारी से लेकर तमाम सवर्ण नेता इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे, जिसके चलते बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कांग्रेस में आए तमाम नेताओं को संगठन का विस्तार करने की ज़िम्मेदारी दी गई, लेकिन ब्रजलाल खाबरी, नसीमुद्दीन सिद्दीकी और नकुल दुबे तथा टीम प्रियंका के संजीव सिंह सहित तमाम नेता संगठन को मजबूत करने में असफल साबित हुई, बल्कि इनके तमाम फैसलों के कांग्रेस से जुड़े तमाम पुराने नेताओं पार्टी के मुख्यालय से बाहर हो गए।
अब अविनाश पांडे के यूपी प्रभारी बनाए जाने से फिर पुराने कांग्रेसियों से सक्रिय होने की उम्मीद बनी है। इसकी कई वजह बताई जा रही है, पहली वजह तो यह है कि अविनाश पांडे को राहुल गांधी के कैंप का बताया जा रहा है। वह इसके पहले मधुसूदन मिस्त्री के यूपी प्रभारी रहते हुए यहां सह प्रभारी थे। कांग्रेस के मूल कैडर से जुड़े होने के नाते पार्टी के पुराने नेता, जिन्हें तकरीबन पांच साल से हाशिये पर रखा गया था, वे इस तैनाती को बेहद खुश हैं।
इन लोगों का कहना है कि बीते पांच साल में पार्टी में सबल हुई एक खास लॉबी का वर्चस्व अब खत्म होगा और उन्हे फिर से काम करने का मौका मिलेगा. दूसरा अब गठबंधन को लेकर होने वाली बातचीत में भी अखिलेश यादव भी असहज नहीं होंगे। चूंकि अविनाश पांडे पहले भी यूपी में काम कर चुके हैं।
लिहाजा वह यहां के पुराने नेताओं और यूपी की राजनीति से वाकिफ हैं, इसलिए अखिलेश यादव भी उनसे बात करने में सहज होंगे और प्रमोद कृष्णम सरीखे नेताओं की विवादित बयानबाजी पर अंकुश लगेगा। इसके अलावा पार्टी संगठन में पुराने नेताओं को संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने की ज़िम्मेदारी दी जाएगी, जैसे की कर्नाटक और तेलंगाना में किया गया है।
कौन हैं अविनाश पांडे ?
अविनाश मूल रूप से महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले हैं। वह पेशे से एक वकील हैं। छात्र जीवन से ही उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी। स्टूडेंट विंग एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस में अविनाश पांडे कई पदों पर रहे। उनकी मेहनत और लगन ने ही उन्हें यूपी में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। वह मौजूदा समय में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं। जब मनिंदर सिंह बिट्टा को युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, तब उन्होंने अविनाश को यूथ कांग्रेस का महासचिव बनाया था।
वर्ष 2008 में उन्हें महाराष्ट्र से राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस ने उतारा था, लेकिन वह उद्योगपति राहुल बजाज से वह एक वोट से हार गए थे। साल 2010 में जब उन्हें दोबारा राज्यसभा का टिकट मिला था, तब वह निर्विरोध जीते थे. साल 2022 में उन्हें झारखंड कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था। उन्हें बतौर एआईसीसी महासचिव नियुक्त किया गया।