Chandrayaan-2: कहां और किस हाल में है लैंडर विक्रम, तीन दिन में पता चल जाएगा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 8, 2019 08:26 AM2019-09-08T08:26:07+5:302019-09-08T08:26:07+5:30

चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार (7 सितंबर) तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया। 

Chandrayaan-2: Where and how is the lander Vikram current status, to know in three days | Chandrayaan-2: कहां और किस हाल में है लैंडर विक्रम, तीन दिन में पता चल जाएगा

Chandrayaan-2: कहां और किस हाल में है लैंडर विक्रम, तीन दिन में पता चल जाएगा

Highlights सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन की वजह से इसका जीवनकाल भी पूर्व नियोजित एक वर्ष के बजाए लगभग सात वर्ष सुनिश्चित है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ठीक है और चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है।

चांद पर लैंडिंग से 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया है। जिसकी वजह से इसरो किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा है। चांद की सतह को छूने से ठीक पहले संपर्क टूटने के बाद भले ही निराशा हाथ लगी हो पर अभी भी उम्मीद कायम है। दरअसल, लैंडर विक्रम कहां, कैसे और किस हाल में है, यह सब महज तीन दिन में पता चल जाएगा। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने ISRO के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक बताया कि अगले 3 दिनों में विक्रम कहां और कैसे है, इसका पता चल सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लैंडर से जिस जगह से संपर्क टूटा था ऑर्बिट को वहां तक पहुंचने में 3 दिन का समय लग जाएगा।

बताया जा रहा है कि अंतिम पलों में विक्रम अपने रास्ते से भटक गया था, इसलिए हमें ऑर्बिटर के 3 उपकरणों SAR (सिंथेटिक अपर्चर रेडार), IR स्पेक्ट्रोमीटर और कैमरे की मदद से 10 x 10 किलोमीटर के इलाके को छानना होगा।

इसके अलावा उन्होंने बताया कि संपर्क टूटने वाली जगह पर हाई रेजॉलूशन की तस्वीरों से ही लैंडर विक्रम का पता चल सकता है। वहीं, इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि हम अगले 14 दिनों तक 'विक्रम' से संपर्क साधने की पूरी कोशिश करेंगे। 

उन्होंने बताया कि अब तक चंद्रयान-2 मिशन के लक्ष्यों को 90 से 95 फीसद तक हासिल किया जा चुका है और लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद इससे चंद्र विज्ञान में योगदान जारी रहेगा।  अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन से ऑर्बिटर का सात साल लंबा जीवन सुनिश्चित है, जबकि पूर्व में इसके जीवनकाल को एक वर्ष रखने की योजना थी। 

चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया। 

इसरो ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया, “विक्रम लैंडर ने अपनी 35 किलोमीटर की कक्षा से सतह से ठीक दो किलोमीटर नीचे उतरने में प्रक्षेपण का तय योजना के मुताबिक पालन किया। इस बिंदु तक उसकी सभी प्रणालियां और तंत्र ठीक काम कर रहे थे और इससे लैंडर में इस्तेमाल वेरियेबल थ्रस्ट प्रोपल्शन तकनीक समेत कई नई तकनीकें साबित हुईं।”

उसने कहा, “ऑर्बिटर का कैमरा अब तक किसी भी चंद्र मिशन में इस्तेमाल हुआ सबसे ज्यादा विभेदन (रेजलूशन) वाला कैमरा (0.3एम) है और इससे उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें मिलेंगी जो वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिये बेहद उपयोगी होंगी।” इसरो ने कहा कि सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन की वजह से इसका जीवनकाल भी पूर्व नियोजित एक वर्ष के बजाए लगभग सात वर्ष सुनिश्चित है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ठीक है और चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है।

Web Title: Chandrayaan-2: Where and how is the lander Vikram current status, to know in three days

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