Chamoli Avalanche: तलाशी अभियान में जुटा बचाव दल, हेलीकॉप्टर की ली जा रही मदद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 1, 2025 10:54 IST2025-03-01T10:40:47+5:302025-03-01T10:54:53+5:30
Chamoli Avalanche: उन्होंने बताया कि माणा में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने बचाव अभियान फिर से शुरू कर दिया है।

Chamoli Avalanche: तलाशी अभियान में जुटा बचाव दल, हेलीकॉप्टर की ली जा रही मदद
Chamoli Avalanche: उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में कई फुट बर्फ के नीचे फंसे 22 मजदूरों में से 14 मजदूरों को बचा लिया गया है और आठ अन्य को बचाने का प्रयास जारी है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। शनिवार सुबह मौसम साफ होने पर बचाव दल ने फिर से मजदूरों को बचाने के लिये अभियान शुरू किया। एक अधिकारी ने बताया कि अगर मौसम ठीक रहा तो अभियान के लिए हेलीकॉप्टर की भी मदद ली जा सकती है।
हिमस्खलन के कारण शुक्रवार को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 55 श्रमिक बर्फ में फंस गए थे और उनमें से 33 को शुक्रवार को निकाल लिया गया। बारिश और बर्फबारी के कारण बचाव कार्य बाधित हुआ और रात में अभियान को स्थगित कर दिया गया। शुक्रवार को हिमस्खलन के कारण माणा और बद्रीनाथ के बीच बीआरओ शिविर कई फुट बर्फ में दब गया। अगर मौसम ठीक रहा तो बचाव कार्य के लिए शनिवार को निजी और वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली जाएगी।
चमोली जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने बताया कि गौचर में निकटतम हवाई पट्टी को इस काम के लिए तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल बादल छाए हुए हैं, लेकिन मौसम अनुकूल होते ही बचाव कार्य में हेलीकॉप्टर की मदद ली जाएगी।
उन्होंने बताया कि माणा में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों ने बचाव अभियान फिर से शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भी हिमस्खलन वाली जगह का दौरा करने की संभावना है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी सूची के अनुसार फंसे हुए मज़दूर बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों से हैं।
सूची में 10 मजदूरों के भी नाम हैं, लेकिन उनके राज्यों का नाम नहीं बताया गया है। प्रदेश के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने माना कि बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण है क्योंकि हिमस्खलन स्थल के पास सात फुट तक बर्फ जमी हुई है। हालांकि, उन्होंने बताया कि बचाव अभियान में 65 से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं। बद्रीनाथ से तीन किलोमीटर दूर स्थित माणा भारत-तिब्बत सीमा पर 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अंतिम गांव है।