केंद्र ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने का विरोध किया, कहा- 'यह कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दा है'
By रुस्तम राणा | Updated: October 3, 2024 19:39 IST2024-10-03T19:39:09+5:302024-10-03T19:39:09+5:30
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर अपने जवाब में केंद्र ने तर्क दिया कि वैवाहिक बलात्कार का मुद्दा कानूनी से अधिक सामाजिक चिंता का विषय है और इस पर कोई भी निर्णय लेने से पहले विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता है।

केंद्र ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने का विरोध किया, कहा- 'यह कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक मुद्दा है'
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने का विरोध किया। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि वैवाहिक बलात्कार से जुड़े मामलों का देश में बहुत दूरगामी सामाजिक-कानूनी प्रभाव होगा और इसलिए सख्त कानूनी दृष्टिकोण के बजाय एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह बात सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कही गई।
केंद्र ने कहा कि "ऐसे विषयों (वैवाहिक बलात्कार) पर न्यायिक समीक्षा करते समय, यह समझा जाना चाहिए कि वर्तमान प्रश्न न केवल एक संवैधानिक प्रश्न है, बल्कि अनिवार्य रूप से एक सामाजिक प्रश्न है, जिस पर संसद ने, वर्तमान मुद्दे पर सभी पक्षों की राय से अवगत होने और जागरूक होने के बाद, एक स्थिति बनाई है।"
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि संसद ने, वर्तमान मुद्दे पर सभी पक्षों की राय से अवगत होने और जागरूक होने के बाद, वर्ष 2013 में आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को बरकरार रखने का फैसला किया है, जबकि वर्ष 2013 में उक्त धारा में संशोधन किया गया है।
ये याचिकाएं भारतीय दंड संहिता के प्रावधान के खिलाफ दायर जनहित याचिकाएं हैं और इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) के तहत वैवाहिक बलात्कार के अपवाद की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह उन विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करता है, जिनका उनके पतियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है।