वन भूमि के इस्तेमाल की मंजूरी की राह आसान करने की तैयारी में सरकार, प्रस्ताव लेकर आई
By विशाल कुमार | Published: October 5, 2021 08:50 AM2021-10-05T08:50:40+5:302021-10-05T08:53:38+5:30
1980 में लागू हुए और 1988 में संशोधित वन संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी एजेंसी को किसी भी उपयोग के लिए वन भूमि का इस्तेमाल करने से पहले केंद्र सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होती है. हालांकि, केंद्र ने अब उसमें संशोधन का प्रस्ताव रखा है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक परियोजनाओं और बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए वन भूमि का इस्तेमाल करने वाली एजेंसियों को केंद्र सरकार ने मंजूरी से छूट देने की तैयारी कर ली है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 1980 में लागू हुए और 1988 में संशोधित वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के तहत किसी भी एजेंसी को किसी भी उपयोग के लिए वन भूमि का इस्तेमाल करने से पहले केंद्र सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होती है. हालांकि, केंद्र ने अब उसमें संशोधन का प्रस्ताव रखा है.
सरकार का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन मौजूदा वन कानूनों के व्यापक तौर पर तर्कसंगत उपयोग का हिस्सा है.
इस प्रस्ताव पर 15 दिनों तक सार्वजनिक बहस हो सकती है जिसके बाद इसे कैबिनेट और संसदीय मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेजों में 1980 से पहले अधिग्रहित भूमि को रेलवे जैसी सार्वजनिक क्षेत्र वाली संस्थाओं से छूट देने की भी योजना है.
हालांकि, रेलवे, राजमार्गों के रास्ते के अधिकार पर अधिनियम की व्याख्या कैसे की जा रही है, इस पर कई मंत्रालयों में नाराजगी जताई है.