मोदी कैबिनेट ने दस साल के लिए SC/ST आरक्षण को बढ़ाने की दी मंजूरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 4, 2019 11:11 AM2019-12-04T11:11:53+5:302019-12-04T11:15:58+5:30
2018 के उस फैसले पर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों सरकार ने दाखिल की थी । यह याचिका उस आदेश के खिलाफ था जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा एससी/एसटी समुदायों की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का आदेश दिया गया था।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससी/एसटी आरक्षण को और दस साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के 2018 के उस फैसले पर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों दाखिल की थी । यह याचिका उस आदेश के खिलाफ था जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा एससी/एसटी समुदायों की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने का आदेश दिया गया था।
SC to hear after after 2 weeks hearing of a plea after Attorney General KK Venugopal urged the court to refer to 7-judge bench the issue raised in the plea relating to exclusion of creamy layer from Scheduled Caste and Scheduled Tribe community for benefit of reservations. https://t.co/H0OVGEeNdG">pic.twitter.com/H0OVGEeNdG
— ANI (@ANI) https://twitter.com/ANI/status/1201381608722292736?ref_src=twsrc%5Etfw">December 2, 2019
आपको बता दें कि कोर्ट में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि एससी/एसटी आरक्षण मामला सात सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा जाए। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्र की याचिका पर दो सप्ताह बाद विचार होगा।
I am not a 'renowned Muslim' but here's my 2 pence: review petition is a remedy available under SC Rules & I stand by the right of litigants to seek it before the Hon'ble Court
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) https://twitter.com/asadowaisi/status/1199165687148625920?ref_src=twsrc…">November 26, 2019
If review petitions in Sabarimala & SC/ST Act cases didn't ‘aid polarisation’, neither should this
इसके अलावा आपको बता दें कि ओवैसी ने कुछ दिनों पहले अपने ट्वीट में लिखा कि मैं कोई मशहूर मुस्लिम नहीं हूं लेकिन मेरी दो बाते हैं- सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अधीन रिव्यू पिटिशन एक उपाय है और मैं सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर करने वाले वादियों के अधिकार के साथ खड़ा हूं। दूसरा- अगर सबरीमाला और एससी/एसटी एक्ट मामले में रिव्यू पीटिशन से ध्रुवीकरण में मदद नहीं मिली, तो इस मामले में भी ऐसा नहीं होना चाहिए।''