केन्द्र ने न्यायालय से कहा: रेल लाइन के साथ बसी झुग्गियों पर फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी

By भाषा | Updated: November 24, 2020 17:51 IST2020-11-24T17:51:42+5:302020-11-24T17:51:42+5:30

Center told the court: There will be no punitive action on the slums situated along the railway line. | केन्द्र ने न्यायालय से कहा: रेल लाइन के साथ बसी झुग्गियों पर फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी

केन्द्र ने न्यायालय से कहा: रेल लाइन के साथ बसी झुग्गियों पर फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी

नयी दिल्ली, 24 नवंबर केन्द्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि दिल्ली में रेलवे लाइन के साथ बसी करीब 48,000 झुग्गियों को हटाने के मुद्दे पर विचार-विमर्श चल रहा है और फिलहाल उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने 14 सितंबर को वक्तव्य दिया था कि प्राधिकारी इस मुद्दे पर निर्णय लेने जा रहे हैं लेकिन इन झुग्गी बस्तियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी।

मेहता ने कहा, ‘‘इस विषय पर मंत्रणा जारी है। हम कोई दंडात्मक कदम नहीं उठा रहे हैं।’’

पीठ ने सॉलिसीटर जनरल के इस कथन का संज्ञान लेते हुये कहा कि वह चार सप्ताह बाद इस मामले पर आगे सुनवाई करेगी।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सॉलिसीटर जनरल कहते हैं कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है। चार सप्ताह के लिये इसे स्थगित किया जाये।’’

शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को एक फैसले में दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी 48,000 झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि इस आदेश पर अमल में किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हो।

दिल्ली में प्रदूषण से उत्पन्न स्थिति से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान राजधानी में अनधिकृत कब्जों का मामला न्यायालय के ध्यान में लाया गया था। इसी सिलसिले में रेलवे लाइन के साथ बसी इन झुग्गी बस्तियों का मामला भी उठा था, जिसपर न्यायालय ने 31 अगस्त को विस्तृत फैसला सुनाया गया था।

केन्द्र सरकार ने 14 सितंबर को शीर्ष अदालत को यह आश्वासन दिया था कि 140 किमी लंबी रेलवे लाइन के साथ बसी इन झुग्गी बस्तियों के मामले में अंतिम निर्णय लिये जाने तक इन झुग्गियों को नहीं हटाया जायेगा।

केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को सूचित किया था कि रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय से परामर्श के बाद ही इस मामले में अंतिम निर्णय लिया जायेगा।

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने एक आवेदन दायर कर दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी झुग्गियों को हटाने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है।

आवेदन में रेल मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली शहरी आवास सुधार बोर्ड को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि इस मामले में दिल्ली स्लम और जेजे पुनर्वास नीति 2015 और झुग्गियों को हटाने संबंधी प्रोटोकाल का अक्षरश: पालन किया जाये।

आवेदन में कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुये कहा गया कि इस परिस्थिति में पहले पुनर्वास की व्यवस्था के बगैर ही इन झुग्गियों को गिराना बहुत ही जोखिम भरा होगा, क्योंकि इनमें रहने वाली ढाई लाख से ज्यादा की आबादी को अपने आवास और आजीविका की तलाश में दूसरी जगह भटकना होगा।

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Web Title: Center told the court: There will be no punitive action on the slums situated along the railway line.

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