ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले को लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में में दाखिल की पुनर्विचार याचिका, फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: May 20, 2023 15:50 IST2023-05-20T15:49:27+5:302023-05-20T15:50:55+5:30

उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। अब केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर संविधान बेंच के फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया है।

Center filed a review petition in the Supreme Court regarding the transfer-posting case in Delhi | ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले को लेकर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में में दाखिल की पुनर्विचार याचिका, फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Highlightsदिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार को लेकर विवाद जारीकेंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की हैकेंद्र के अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनैती देगी आम आदमी पार्टी

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम निर्णय में कहा था कि दिल्ली सरकार अधिकारियों की तैनाती और तबादला कर सकती है।  उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंप दिया था। इसे केजरीवाल सरकार ने अपनी जीत के रूप में लिया था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर संविधान बेंच के फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया है।

इससे पहले सर्वोच्च न्यायलय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार 19 मई की रात को एक अध्यादेश लेकर आई। केंद्र सरकार ने ‘दानिक्स’ काडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित करने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया। अध्यादेश तीन सदस्यों वाले राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात करता है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव इसके सदस्यों के रूप में काम करेंगे।

केंद्र के अध्यादेश पर जमकर राजनीतिक बवाल भी जारी है। अध्यादेश के अनुसार  दिल्ली में अधिकारियों की तैनाती, तबादलों और विजिलेंस से जुड़े मामलों के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सिविल सर्विस प्राधिकरण बनाने का फैसला किया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होंगे। दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) भी इसमें शामिल होंगे। प्राधिकरण बहुमत के आधार पर फैसला लेगा। यानी मुख्यमंत्री अकेले फैसला नहीं कर पाएंगे। विवाद होने की स्थिति में अंतिम फैसला उपराज्यपाल का होगा।

आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने शनिवार को कहा है कि दिल्ली सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर लाए गए केंद्र के अध्यादेश को फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनैती देगी।

Web Title: Center filed a review petition in the Supreme Court regarding the transfer-posting case in Delhi

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