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केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिया परामर्श, कहा- सभी डॉक्टरों को कोविड-19 जांच की अनुशंसा करने की अनुमति दें

By भाषा | Updated: July 2, 2020 05:19 IST

केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श दिया है कि वे निजी डॉक्टरों सहित सभी डॉक्टरों को कोविड-19 की जांच कराने की अनुशंसा करने की अनुमति दें जो आईसीएमआर द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं।

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ठळक मुद्देकोविड-19 की क्षमता से कम जांच के मद्देनजर केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श दिया है।केंद्र ने राज्यों से कहा कि निजी डॉक्टरों सहित सभी डॉक्टरों को अनुति दें, जो आईसीएमआर के मानकों को पूरा करते हैं।

नई दिल्ली। कोविड-19 मरीजों की जांच के लिए निर्धारित प्रयोगशालाओं में क्षमता से कम जांच के मद्देनजर केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श दिया है कि वे निजी डॉक्टरों सहित सभी डॉक्टरों को उन मरीजों की कोविड-19 जांच कराने की अनुशंसा करने की अनुमति दें जो आईसीएमआर द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं जिससे देरी होने से बचा जा सकेगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ.बलराम भार्गव द्वारा संयुक्त रूप से लिखे पत्र में कहा गया है कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में खासतौर पर निजी प्रयोगशालाओं में क्षमता से काफी कम जांच हो रही है । पत्र में आह्वान किया गया है कि कोविड-19 जांच प्रयोगशालाओं का पूरी क्षमता से इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाए। उन्होंने यह बात भी उठायी है कि ऐसा देखा गया है कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कोरोना वायरस से संक्रमण की जांच के लिए सरकारी डॉक्टर की अनुशंसा को अनिवार्य बनाया है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘सरकारी स्वास्थ्य सेवा पर बढ़े बोझ को देखते हुए यह अनिवार्यता कई बार किसी व्यक्ति के लिए परीक्षण में बाधा डालने और अनावश्यक देरी का कारण बन सकती है।’’ पत्र के मुताबिक, ‘‘इस बिंदु पर, आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुसार परीक्षण के मानदंडों को पूरा करने वाले किसी भी व्यक्ति की कोविड-19 जांच के लिए निजी चिकित्सकों सहित सभी योग्य चिकित्सकों को अनुशंसा करने के लिए अधिकृत करना और जल्द से जल्द परीक्षण की सुविधा प्रदान करना आवश्यक है।’’ आईसीएमआर ने अनुशंसा की कि प्रयोगशालाओं को उसके दिशानिर्देश के अनुसार किसी भी व्यक्ति की जांच करने की छूट देनी चाहिए और राज्य के अधिकारियों को व्यक्तियों की जांच नहीं रोकनी चाहिए क्योंकि शुरुआती जांच से वायरस को फैलने से रोकने एवं जान बचाने में मदद मिलेगी।

शुरुआती जांच से वायरस को फैलने से रोकने एवं जान बचाने में मदद मिलेगी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोरोना महामारी से होने वाली हानि को न्यूनतम रखने के लिए सख्त निगरानी

सूदन और भार्गव ने कहा, ‘‘दुनिया के कई अन्य देशों के मुकाबले देश के अधिकतर हिस्सों में रुग्णता और मृत्युदर अपेक्षाकृत कम है, लेकिन यह नये इलाकों में फैल रहा है। उन्होंने कोरोना वायरस की महामारी से होने वाली हानि को न्यूनतम रखने के लिए सख्त निगरानी और सभी कोशिशों को जारी रखने पर बल दिया। पत्र में कहा गया अनलॉक-2 की शुरुआत के साथ जीवन और जीविकोपार्जन की रक्षा पर ध्यान केंद्रित रहेगा क्योंकि चरणबद्ध तरीके से अधिक से अधिक आर्थिक गतिविधियों के शुरू होने की उम्मीद है।

जांच की सभी बाधाओं को हटाने के उद्देश्य से सूदन और भार्गव ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आह्वान किया कि वे जांच को सुगम बनाने और बढ़ाने के लिए कदम उठाए क्योंकि ‘जांच- पता लगाना- इलाज’ महामारी की शुरुआती पहचान और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण रणनीति है। जांच की सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह भी सलाह दी गई वे संक्रमण के अधिक मामलों वाले इलाकों में शिविर लगाकार, मोबाइल बैन से लक्षण वाले सभी लोगों के नमूने लेने, उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करने और रैपिड एंटीजन जांच के जरिये उन नमूनों की जांच के लिए अभियान की तरह काम करे।

जांच बढ़ाने और संपर्क में आए लोगों की पहचान पर ध्यान देने का आह्वान

पत्र में कहा गया कि रैपिड एंटीजन जांच में संक्रमित पाए गए मरीजों का नियमों के मुताबिक इलाज किया जाना चाहिए और निगेटिव आने पर आरटी-पीसीआर जांच करना चाहिए। निजी प्रयोगशालाओं में पीसीआर जांच के लिए लगने वाले शुल्क का निर्धारण राज्य और केंद्र शासित प्रदेश द्वारा किया जाना चाहिए। पत्र में सलाह दी गई है कि सभी निजी प्रयोगशालाओं के लिए जांच के आंकड़े आईसीएमआर के डाटाबेस पर अपलोड करने के साथ-साथ राज्यों/ जिलो/नगर निकायों को सूचित करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए ताकि निगरानी और संक्रमित के संपर्क में आए लोगों का पता लगाया जा सके। पत्र में जांच को बढ़ाने के साथ-साथ संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने को लेकर भी ध्यान देने का आह्वान किया गया जो वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

पत्र में रेखांकित किया गया, ‘‘यह देखा गया है कि कुछ राज्यों में निषिद्ध क्षेत्रों का सीमांकन और संपर्क का पता लगाने का काम सावधानी और कड़ाई से नहीं किया जा रहा है जैसा की जरूरत है। आप इस पहलु की यथाशीघ्र समीक्षा करें और सुधारने के लिए कदम उठाएं।’’

आईसीएमआर ने देश के 1,056 प्रयोगशालाओं को कोविड-19 जांच के लिए अधिकृत किया है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

आईसीएमआर ने 1056 लैबों को किया है कोविड-19 जांच के लिए अधिकृत

उल्लेखनीय है कि पीसीआर जांच को कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए सबसे बेहतरीन जांच माना जाता है लेकिन हाल में आईसीएमआर ने रैपिड-एंटीजन जांच को मंजूरी दी है। रैपिड एंटीजन जांच शीघ्र किया जा सकता है और सुरक्षित है। इसे निषिद्ध क्षेत्र में जाकर या अस्पताल में किया जा सकता है जैसा कि मानक शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान निकाय ने जांच के लिए तय किया है। नागरिकों को अधिक विकल्प मुहैया कराने के लिए आईसीएमआर और जांच किट को सत्यापित कर रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक आईसीएमआर ने देश के 1,056 प्रयोगशालाओं को कोविड-19 जांच के लिए अधिकृत किया है जिनमें से 764 सरकारी और 292 निजी प्रयोगशालाएं हैं। आईसीएमआर के मुताबिक 30 जून तक देश में 88,26,585 नमूनों की जाच की गई है जिनमें अकेले 2,17,931 नमूनों की जांच मंगलवार को की गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना वायरस से देश में कुल 5,85,493 लोग संक्रमित हुए हैं जिनमें से 17,400 लोगों की मौत हुई है। सूदन और भार्गव ने यह पत्र राज्यों के मुख्य सचिवों, राज्यपालों के सलाहकारों और उप राज्यपालों को लिखा है।

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