सीबीआई बनाम सीबीआई सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाला पल उस वक्त था, जब खुद सीबीआई अपने अधिकारियों के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में आरोप लगा रही थी। मंगलवार को दिल्ली कोर्ट में चार्जशीट दायर करते हुए सीबीआई ने कहा- सीबीआई डायरेक्टर राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार जबरन वसूली का अवैध रैकेट चलाते थे। बता दें कि डीएसपी देवेंद्र कुमार को सीबीआई ने सोमवार को ही हिरासत में लिया है।
जांच एजेंसी सीबीआई ने को दिल्ली कोर्ट में बताया था कि हाई-प्रोफाइल मामलों की आड़ में सीबीआई में एक ‘‘वसूली रैकेट’’ चलाया जा रहा था। उन्होंने कहा-सीबीआई के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इसके दो सबसे बड़े अधिकारी कलह में उलझे हैं। एजेंसी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने जांच के दौरान दूसरे मामले के झूठे साक्ष्य तैयार करने की कोशिश की और जांच में सहयोग से इनकार किया।
कोर्ट ने मामले को बताया गंभीर
अदालत ने अपराध को ‘‘गंभीर’’ करार दिया और इस बात को रेखांकित किया कि आरोपियों समेत लोक सेवकों की संलिप्तता के गंभीर आरोप हैं । लोक सेवकों पर जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि वे जांच की आड़ में चल रहे जबरन वसूली रैकेट का हिस्सा हैं ।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश संतोष स्नेही मान ने कुमार को सीबीआई की हिरासत में सौंपा। एजेंसी ने आरोपी अधिकारी को पूछताछ के लिये 10 दिन तक हिरासत में सौंपे जाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि उसे आरोपी के कार्यालय और आवास से छापे के दौरान उनकी संलिप्तता की ओर संकेत देने वाले दस्तावेज मिले थे।
देवेन्द्र कुमार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता राहुल त्यागी ने कहा कि मामले में आरोपी की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ जांच कानून का उल्लंघन है क्योंकि पीसी अधिनियम की धारा 17ए के तहत सक्षम प्राधिकार से पूर्व अनुमति नहीं ली गई।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ''आरोपी समेत लोकसेवकों की संलिप्तता के बारे में अपराध की गंभीरता और आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए, मेरी राय है कि मामले की उचित जांच के लिये देवेंद्र कुमार की पुलिस हिरासत जरूरी है।'' उन्होंने कहा, ''आरोपी को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा जाता है।''
दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अक्टूबर तक का दिया है राकेश अस्थान को वक्त
दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को 29 अक्टूबर तक का समय दिया है। 29 अक्टूबर तक अस्थाना अपने ऊपर लगे आरोपों पर जवाब देंगे। कोर्ट ने आदेश दिया है कि तब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है।
क्या है सीबीआई घूस विवाद मामाला
सीबीआई ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर बीफ़ कारोबारी मोईन क़ुरैशी समेत कई अन्य गंभीर मामलों के आरोपियों से घूस लेने का केस दर्ज किया है। इसके बाद राकेश ने सीबीआई के नंबर एक अधिकारी आलोक वर्मा पर भी घूस का आरोप लगाया। इस पूरे मामले में सीबीआई ने अपने चीफ( आलोक वर्मा) का पक्ष को लेकर जांच शुरू की। जांच के लिए एक नई टीम भी बना दी गई है। इस मामले पर पहले से जांच कर रहे अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है।
छुट्टी पर भेजे गए टॉप अधिकारी( आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना)
मामले में बुधवार सुबह दोनों टॉप अधिकारी( आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना) को छुट्टी पर भेज दिया है। केन्द्र सरकार ने इसके लिए तर्क दिया कि ये दोनों अधिकारी अपने ही ऊपर लगे केस की जांच नहीं कर सकते हैं। इसके बाद सीबीआई के नंबर एक अधिकारी के रूप में नागेश्वर राव को नया अंतरिम निदेशक बनाया है।
आलोक वर्मा ने छुट्टी पर भेजने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार(24 अक्टूबर) को सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा की अर्जी पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया। यह सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी। वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस ले लिए जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी है।
वर्मा और एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच जारी विवाद के मद्देनजर केंद्र ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था। आलोक वर्मा से सारे अधिकार वापस ले लिए हैं।
सीबीआई डीएसपी देवेंद्र कुमार की हुई गिरफ्तारी
सीबीआई ने सोमवार को दो करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी के आरोप में अपने सीबीआई डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी गिरफ्तार किया। इस दौरान सीबीआई टीम ने अपने मुख्यालय में डीएसपी के ऑफिस की छानबीन की थी। इसी मामले में एजेंसी में नंबर दो पोजिशन पर बैठे स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ भी एक दिन पहले ही एफआईआर दर्ज की गई थी। डीएसपी देवेंद्र कुमार बीफ़ कारोबारी मोईन क़ुरैशी वाले केस की जांच कर रहे थे। इस जांच के लिए बनाई गई एसआईटी टीम का नेतृत्व राकेश अस्थाना कर रहे थे।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)