सीबीआई ने वर्ष 2015 के बेअदबी से जुड़े मामलों की फाइल पंजाब पुलिस को सौंपी
By भाषा | Updated: February 4, 2021 19:40 IST2021-02-04T19:40:01+5:302021-02-04T19:40:01+5:30

सीबीआई ने वर्ष 2015 के बेअदबी से जुड़े मामलों की फाइल पंजाब पुलिस को सौंपी
चंडीगढ़, चार फरवरी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वर्ष 2015 की धार्मिक बेअदबी से जुड़े मामलों की फाइल और दस्तावेज पंजाब पुलिस को सौंप दिए है।
यह जानकारी राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर दी।
बयान के मुताबिक, ‘‘ मामले की जुड़ी फाइल एवं दस्तावेज पंजाब ए़वं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई के लिए तय समयसीमा से घंटों पहले पंजाब पुलिस को सौंपी गई।’’
बयान में कहा गया, ‘‘ जांच ब्यूरों के निदेशक ने 18 जनवरी 2021 को सीबीआई निदेशक को समस्त रिकॉर्ड राज्य पुलिस को बिना देरी सौंपने को कहा था। यह कदम सीबीआई से बेअदबी का मामला वापस लेने पर उठाया गया जिसके परिणाम में दो नवंबर 2015 को सीबीआई को सौंपे गए मामले में एकत्र सबूत सहित तमाम दस्तावेज वापस मांगे गए।’’
बयान में कहा गया,‘‘सीबीआई ने बुधवार को अंतत: राज्य पुलिस को बेअदबी मामले से जुड़े सभी दस्तावेज सौंप दिए है’’।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘यह शिरोमणि अकाली दल (पूर्व में राजग की सहयोगी) की मामले का खुलासा करने की प्रक्रिया को बाधित करने के प्रयास का पर्दाफाश करता है।’’
मुख्यमंत्री ने इसे राज्य सरकार और उसके उस रुख की जीत करार दिया जिसके तहत उसने आरोप लगाया था कि सीबीआई गत महीनों में पंजाब पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच को शिरोमणि अकाली दल की ओर से बाधित करने का प्रयास कर रही थी जो सितंबर 2020 तक केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा थी।
सिंह ने बयान में आरोप लगाया, ‘‘ अब स्पष्ट है कि केंद्रीय मंत्री के तौर पर हरसिमरत कौर केंद्रीय एजेंसी पर दबाव बना रही थी कि वह मामले से जुड़ी फाइल नहीं सौंप कर एसआईटी की जांच को बाधित करे क्योंकि वह जानती थी कि उनकी पार्टी की इस मामले में संलिप्तता का खुलासा हो जाएगा अगर पुलिस की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंची।’’
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने पिछले महीने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह वर्ष 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब विभिन्न धार्मिक चिह्नों के बेअदबी के मामले से जुड़ी फाइल एक महीने के भीतर पंजाब पुलिस को सौंपे।
पंजाब सरकार ने सितंबर 2018 में विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें मामले की जांच राज्य पुलिस की एसआईटी से कराने एवं सीबीआई जांच पर सहमति वापस लेने की बात की गई थी।
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