नई दिल्लीः सीबीआई ने बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी और उनकी पत्नी रीता तिवारी के खिलाफ 754.25 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के सिलसिले में मामला दर्ज किया है।
यह जानकारी सोमवार को अधिकारियों ने दी। सीबीआई ने सोमवार को चिल्लूपुर (गोरखपुर) के विधायक तिवारी के आवास और कंपनी गंगोत्री के कार्यालय पर लखनऊ में छापेमारी की। वह पूर्व मंत्री और गोरखपुर के दबंग हरिशंकर तिवारी के पुत्र हैं। छापेमारी नोएडा में भी की गई। यहां एक अन्य आरोपी कंपनी रॉयल एंपायर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और गंगोत्री इंटरप्राइजेज में एक अन्य आरोपी निदेशक अजित पांडेय के परिसर में छापे मारे गए।
विधायक विजय मिश्र पर मुकदमा दर्ज कराने वाले पर भी अदालत के आदेश पर मुकदमा
आगरा सेंट्रल जेल में बंद भदोही जिले से निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्रा की बहू पुष्पलता मिश्रा ने अदालत की मदद से कृष्णमोहन तिवारी और उनके तीन बेटों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। इसके पूर्व कृष्णमोहन तिवारी ने विजय मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आशुतोष कुमार के आदेश पर जिले के गोपीगंज थाने में कृष्णमोहन तिवारी समेत चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। भदोही के पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह ने सोमवार को कहा कि अदालत के आदेश पर अमल करते हुए गोपीगंज थाने में तिवारी और उनके तीन बेटों के खिलाफ धारा 323, 504, 506, 347, 387, 392, 449 में 16 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज किया गया और मामले की विवेचना की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक ने दर्ज मामले के आधार पर कहा कि विजय मिश्रा के रिश्तेदार कृष्णमोहन तिवारी ने विधायक, विधायक की पत्नी रामलली और विष्णु मिश्रा पर चार अगस्त को एक मुकदमा दर्ज कराया था। इससे पहले कि विजय मिश्रा सहित उनके परिवारवालों को पकड़ा जाता, उसी मकान में विजय मिश्रा ने सात अगस्त को अपने भाई के बेटे प्रकाश चंद्र मिश्रा और उसकी पत्नी पुष्पलता मिश्रा उर्फ़ नीरज मिश्रा को वहां बुलाकर कब्ज़ा बरकरार रखने की साज़िश की और विधायक परिवार सहित फरार हो गए।
उनके मुताबिक पुष्पलता मिश्रा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक याचिका दी थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 19 अगस्त को कृष्णमोहन तिवारी और उनके तीन बेटे रामकमल, सूर्यकमल और नीलकमल उनके कमरे में लाठी-डंडे और तलवार से लैस होकर घुस गए और दो स्टांप पेपर पर उनके दस्तखत करा लिए तथा सोने की चेन छीनकर ले गए। इस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिए।
इस संदर्भ में कृष्णमोहन तिवारी ने मीडिया से कहा कि उन्होंने जब संपत्ति और अपनी फर्म पर कब्ज़ा करने वाले विजय मिश्रा पर मुकदमा दर्ज कराया और जिला प्रशासन से एक वायरल वीडियो के माध्यम से घर खाली करने की गुहार लगाई, तब से ही जेल में बंद विजय मिश्रा और उनके परिवार वाले हर दिन कोई न कोई साजिश रचने में लगे हैं।
तिवारी ने कहा, ‘‘वर्ष 2001 में विजय मिश्रा इलाहाबाद से यह कहकर हमारे घर कौलापुर में आए कि चुनाव लड़कर चले जाएंगे, लेकिन यहीं रहने लगे। हम लोगों ने सोचा कि वह रिश्तेदार हैं और कुछ दिन रहकर चले जाएंगे लेकिन विधायक बनने तथा रुतबा बढ़ने के बाद उनकी नीयत बदल गई।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस के आला अधिकारियों से मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की।