कावेरी जल विवाद: आ गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें दशकों पुराने इस विवाद से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

By पल्लवी कुमारी | Updated: February 16, 2018 12:28 IST2018-02-16T11:51:53+5:302018-02-16T12:28:13+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद पर फैसला सुनाते हुए तमिलनाडु के पानी के हिस्से में कटौती कर दी है।

cauvery water dispute full Coverage : When did the dispute start and what happened till now in verdict | कावेरी जल विवाद: आ गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें दशकों पुराने इस विवाद से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

कावेरी जल विवाद: आ गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें दशकों पुराने इस विवाद से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

तमिलनाडु, कर्नाटक, पुडुच्चेरी और केरल के बीच कई दशकों से चल रहे कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तमिलनाडु के पानी के हिस्से में कटौती कर दी है। इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस जस्टिस अमिताभ राय और जस्टिस खानविलकर की पीठ ने की है। कावेरी जल विवाद पर कावेरी वाटर डिस्प्यूट ट्राइब्यूनल (सीडब्ल्यूडीटी) ने साल 2007 में फैसला दिया था। तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों ने ही ट्राइब्यूनल के फैसले के खिलाफ अपील की थी। कर्नाटक में कुछ महीनों बाद ही विधानसभा चुनाव भी होने वालें हैं, इस लिहाजे से भी यह फैसला काफी अहम होगा। 

आइए जानते हैं कावेरी जल विवाद से जुड़ी 10 महत्वपुर्ण बातें, जिससे आपको यह पूरा मसला समझ में आजाएगा।   

 
1- कावेरी कर्नाटक के तालकावेरी कोडगु से निकलती है। जो वेस्टर्न घाट में स्थित है। कर्नाटक के पहाड़ी क्षेत्र से उतरकर यह नदी केरल और तमिलनाडु में प्रवेश करती है और पूर्व में पांडिचेरी से होकर बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है।

2- दोनों राज्यों के कई जिले सिंचाई इसी नदी पर निर्भर करती है। यह विवाद 1892 में ज्यादा तेज हुआ। जब ब्रिटिश राज के अंतर्गत मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर रियासत जल बंटवारे को लेकर सहमत नहीं हुए। साल 1910 में दोनों राज्यों ने जल भंडारण के लिए जलाशयों के निर्माण की अवधारणा को फिर से आगे बढ़ाया। इसके बाद 1924 में पहली बार ब्रिटिश शासकों ने दोनों राज्यों के बीच कृष्णराज सागर जलाशय के उपयोग के लिए समाधान कराया।

3- 2007 में यह विवाद सामने आया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद सुलझाने के लिए 1990 में कावेरी वाटर डिस्प्यूट ट्राइब्यूनल का गठन किया था। इस ट्राइब्यूनल ने पाँच फरवरी 2007 को फैसला सुनाया था। ट्राइब्यूनल ने अपने फैसले में कावेरी नदी के 740 टीएमसी पानी को चार राज्यों को बीच बांटा था। ट्राइब्यूनल ने कर्नाटक को 419 टीएमसी पानी और कर्नाटक को 270 टीएमसी पानी, 30 टीएमसी केरल को और सात टीएमसी पानी पुडुच्चेरी को देने का फैसला दिया था। ट्राइब्यूनरल ने कावेरी नदी का 14 टीएमसी पानी पर्यावरण संरक्षण के लिए इस्तेमाल करने का आदेश दिया था।

4- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दोनों राज्य खुश नहीं थे। इस मामले पर कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने फरवरी 2007 के कावेरी ट्रिब्यूनल के अवार्ड को चुनौती दी थी।  कर्नाटक चाहता था कि तमिलनाडु को जल आबंटन कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करे। वहीं, तमिलनाडु का कहना था कि कर्नाटक को जल आवंटन कम किया जाए। कर्नाटक 465 टीएमसी पानी और तमिलनाडु 562 पानी चाहता था। 

5- अगस्त 2016 में तमिलनाडु इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। उस वक्त तमिलनाडु की तत्तकालिन मुख्यमंत्री जे.जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट से कावेरी जल प्रबंधन की मांग की थी लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला।

 

6- 5 सितंबर 2016 को कर्नाटक ने फिर पानी रोक दिया था। जिसके बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता फिर से सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची और कहा कि ट्राइब्यूनल के निर्देशों के अनुसार उन्हें पानी दिया जाए। जब सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से कहा है कि वो अगले 10 दिन तक तमिलनाडु को 12 हजार क्यूसेक पानी दे। लेकिन इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक में लोगों ने जमकर विरोध किया है। 

7-कर्नाटक ने ट्राइब्यूनल के फैसले का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में 312 टीएमसी पानी दिए जाने की माँग की। तमिलनाडु ने भी सुप्रीम कोर्ट में जाकर अपना पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2017 में कावेरी जल विवाद पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

8- कर्नाटक का हमेशा से यह कहना रहा है कि बारिश कम होने की वजह से कावेरी में जल स्तर घट जाता है और इसीलिए वो तमिलनाडु को पानी नहीं दे सकता है। तमिलनाडु इसी बात के खिलाफ है। तमिलनाडु का कहना का कहना है कि उसे कावेरी का पानी किसी भी हाल में चाहिए। वहीं, कर्नाटक अपना तर्क देते हुए हमेशा यह कहता है कि उनके राज्य में हमेशा सूखा पड़ जाता है। कावेरी का ज्यादातर पानी बेंगलूरू और अन्य शहरों में पीने के लिए इस्तेमाल हो रहा है और उनके पास सिंचाई के लिए भी पानी नहीं बचता तो वह पानी कहां से देंगे। 

9- 9 जनवरी 2018 को उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिए कि तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर एक महीने के भीतर फैसला सुना दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो दशकों से अधिक समय के दौरान काफी भ्रम पैदा हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कावेरी बेसिन से संबंधित मामले को कोई भी फोरम तकरीबन एक महीने के भीतर फैसला सुनाएगा। 

10- जिसके बाद 16 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस जस्टिस अमिताभ राय और जस्टिस खानविलकर की पीठ ने यह फैसला सुनाया है कि तमिलनाडु के पानी का हिस्से में कटौती की जाएगी। तमिलनाडु की हिस्सेदारी 192 से 177.25 टीएमसी कर दिया है।

Web Title: cauvery water dispute full Coverage : When did the dispute start and what happened till now in verdict

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