कावेरी द्वंदः कानूनी लड़ाई का फैसला, सीएम सिद्धारमैया ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया
By अनुभा जैन | Updated: September 13, 2023 19:06 IST2023-09-13T19:05:13+5:302023-09-13T19:06:24+5:30
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक भारी बारिश की कमी का सामना कर रहा है, जिसके कारण कावेरी नदी से तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ना असंभव है। सरकार ने कावेरी नदी नियामक समिति के समक्ष फिर से आवेदन करने का फैसला किया है।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक
बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेताओं की सहमति से कावेरी नदी जल नियंत्रण समिति की सिफारिशों का पालन करना मुश्किल मानते हुये कानून के जरिए लड़ने का फैसला लिया गया है। संबंधित अधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट को यह समझाने के बाद कि कावेरी नदी जल नियंत्रण समिति की सिफारिश जिसमें अगले 15 दिनों तक तमिलनाडु को प्रतिदिन 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाने के निर्णय की अनुपालना करना असंभव है, ये अहम निर्णय लिया गया।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक भारी बारिश की कमी का सामना कर रहा है, जिसके कारण कावेरी नदी से तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ना असंभव है। सरकार ने कावेरी नदी नियामक समिति के समक्ष फिर से आवेदन करने का फैसला किया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य में पानी नहीं है। साथ ही याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, हम दिल्ली जाकर वहां के सभी सांसदों और कर्नाटक के मंत्रियों से मिलने के बारे में सोच रहे हैं तथा बैठक में न्यायालय के समक्ष कानूनी रूप से लड़ने के संबंध में निर्णय लिये गये। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार कानूनी विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार अगला कदम उठाएगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि फिलहाल पानी छोड़ना मुश्किल है। बैठक में पानी छोड़े जाने की उपलब्धता के बारे में तथ्य पूछकर प्राधिकरण व सुप्रीम कोर्ट को सौंपने पर चर्चा हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उनमें से किसी को भी कावेरी जल की चिंता नहीं है और किसी भी कारण से तमिलनाडु को पानी नहीं छोड़ा जाना चाहिए। कावेरी मुद्दे पर सरकार असमंजस में है। यहां तक कि जो लोग पड़ोसी राज्यों से पलायन कर चुके हैं और ज़मीन, पानी और अर्थव्यवस्था से आधे संतुष्ट हैं, उन्हें भी कावेरी के बारे में आवाज़ उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कावेरी मुद्दे पर सरकार हर कदम पर विफल हो रही है। तमिलनाडु द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते ही राज्य सरकार को आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी। वास्तविक स्थिति के बारे में दस्तावेज उपलब्ध कराकर इसे सक्षमता से निपटाया जाना चाहिए था।
इसमें न केवल समय लगा, बल्कि अब उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा है कि अगर कन्नडिगा लोग कावेरी के बारे में घड़ियाली आंसू बहाते हैं तो क्या उन्हें इस पर विश्वास करना चाहिए। उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, सचिव डॉ. जी. परमेश्वर, रामलिंगारेड्डी, के.एच. मुनियप्पा, चेलुवरायस्वामी, के.एन. बैठक में राजन्ना, मनकल वैद्य, भोसराजू, पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली बैठक में मौजूद रहे।