शादी से नहीं बदलती जाति, जन्म से ही हो जाती है तय: सुप्रीम कोर्ट
By कोमल बड़ोदेकर | Published: January 20, 2018 10:38 AM2018-01-20T10:38:47+5:302018-01-20T10:50:04+5:30
सामान्य वर्ग की एक महिला ने अनुसूचित जाति के एक शख्स से शादी की थी।
शुक्रवार (19 जनवरी) को एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, जाति जन्म के दौरान ही तय हो जाति है, इसे शादी के बाद बदला नहीं जा सकता। दरअसल एक महीला अग्रवाल समाज से ताल्लुक रखने वाली एक महीला ने एक दलित से शादी से की थी। इसके बाद महिला ने 1991 में बुलंदशहर कोर्ट से अपना अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाया 1993 में केंद्रीय विद्यालय में नौकरी हासिल की।
एक शिकायत के बाद केंद्रीय विद्यालय ने जांच टीम गठित कर कार्रवाई की। साल 2015 में महिला के एससी सर्टिफिकेट को रद्द कर उसकी नौकरी समाप्त कर दी गई। इस फैसले के बाद महिला ने इलाहबाद हाई कोर्ट से गुहार लगाई। अपने पक्ष में फैसला नहीं आने पर महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, जाति जन्म से ही तय हो जाती है। इसे आप शादी के बाद बदल नहीं सकते। चूंकि महिला का जन्म अग्रवाल जाति में हुआ है इसलिए वह सामान्य वर्ग में ही रहेगी न कि अनुसूचित जाति में। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के 'नौकरी समाप्त' फैसले में फेरबदल करते हुए 'अनिवार्य सेवानिवृत्ति' का आदेश दिया है।