जातीय जनगणनाः जदयू ने कहा-ओबीसी को न्याय नहीं दिला पाएंगे, अखिलेश यादव बोले-आंकड़े जारी हो
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 10, 2021 15:54 IST2021-08-10T15:53:51+5:302021-08-10T15:54:57+5:30
Caste census: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को भाजपा पर ओबीसी वर्गों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाया जाए।

क्रीमी लेयर की समीक्षा का काम 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने किया।
Caste census: जातीय जनगणना को लेकर एनडीए के सहयोगी केंद्र सरकार पर हमला कर रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर आंकड़े जारी करने को कहा है। अपना दलएस नेता और केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति ने भी जातीय जनगणना करने को कहा है।
संसद में रोज हंगामा हो रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए कई दल जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। जनता दल (यूनाइटेड) ने मंगलवार को केंद्र से जातीय जनगणना कराये जाने की मांग करते हुए कहा कि जब तक ऐसा नहीं होता तब तक देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के साथ न्याय नहीं हो पाएगा।
लोकसभा में ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा में भाग लेते हुए जदयू नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के कल्याण की दिशा में सरकार की नीयत साफ है, इसलिए सुधार की लगातार संभावनाएं बनी रहती हैं। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में यह विधेयक लाया गया है जो स्वागत योग्य है।
उन्होंने कहा कि लेकिन ‘‘जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी तब तक हम देश में ओबीसी को न्याय नहीं दिला पाएंगे। 1931 में जातीय जनगणना हुई थी और अब सरकार को 2022 में जातीय जनगणना करानी चाहिए।’’ जदयू सांसद ने कहा कि यह भ्रम है कि जातीय जनगणना के बाद आंकड़े आने से समाज के विभिन्न वर्गों के साथ भेदभाव होगा। उन्होंने कहा कि यह गलत धारणा है।
आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाई जाए : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को भाजपा पर ओबीसी वर्गों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को बढ़ाया जाए तथा जातिगत जनगणना के आंकड़ों को जारी किया जाए। उन्होंने लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार बनती है तो वह जातिगत जनगणना कराएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछड़ों और दलितों को भाजपा ने सबसे ज्यादा गुमराह किया है...भाजपा ने जातियों के बीच मतभेद पैदा किए हैं।’’ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने पिछले विधानसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए भाजपा पर निशाना साधा और कहा, ‘‘इन्होंने कुछ चेहरे आगे किये और कहा कि मुख्यमंत्री ओबीसी समुदाय से होगा। लेकिन जब मुख्यमंत्री बना तो कौन बना?’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर इतना महत्वपूर्ण विधेयक पारित हो रहा है तो उसी के साथ आरक्षण की सीमा को बढ़ाया जाए। जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किये जाएं।’’
अखिलेश यादव ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘सब जातियों को गिन लिया जाए। सबको लगता है कि वो संख्या में ज्यादा हैं, लेकिन उनकी उपेक्षा हो रही है। ऐसे में जनगणना क्यों नहीं होती?’’ उन्होंने सत्तापक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘यह सरकार न भूले कि उसे पिछड़ों ने यहां बैठने का मौका दिया। जिस दिन पिछड़े और दलित हट गए, उस दिन पता नहीं चलेगा कि आप कहां चले जाएंगे।’’
चर्चा में भाग लेते हुए बसपा के रितेश पांडेय ने भी जातिगत जनगणना की मांग उठाई। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकारी नौकरियों को कम किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में ओबीसी के आरक्षण को खत्म किया जा रहा है, जबकि भाजपा दिखाती है कि वह ओबीसी वर्गों की चिंता करती है।
97 प्रतिशत नौकरियां निजी क्षेत्र में हैं। सरकारी नौकरियां खत्म की जा रही हैं। अब सरकार संशोधन करके भ्रम फैला रही है। सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है।’’ पांडेय ने कहा, ‘‘जातिगत जनगणना होनी चाहिए। अगर यह नहीं होती है तो यह ओबीसी वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित करना होगा।’’
कांग्रेस ने पिछड़ों के साथ न्याय नहीं किया: भूपेंद्र यादव
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस नीत सरकारों के दौरान पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ न्याय नहीं करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि देश के गरीबों और पिछड़ों के कल्याण के लिए जितनी तेजी से मोदी सरकार ने कदम उठाये हैं, वे ऐतिहासिक हैं। लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए यादव ने कहा कि कांग्रेस 1950 में शासन में आई लेकिन उसने 40 साल तक काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट पर काम नहीं किया और पिछड़ों को न्याय नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि मंडल आयोग ने 1980 में रिपोर्ट दी लेकिन कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने पिछड़ों को न्याय नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जिस सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया, भाजपा उस समय उसका समर्थन कर रही थी। यादव ने कहा कि 1993 में पिछड़ा वर्ग आयोग बना और उसके बाद क्रीमी लेयर की समीक्षा का काम 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने किया।
उन्होंने कहा कि यह भाजपा की प्रतिबद्धता है। यादव ने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस नीत संप्रग की सरकार में सभी पार्टियों ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक अधिकार देने की मांग की, लेकिन इस मांग को नहीं माना गया और बाद में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि जब पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट रखी जा रही थी तो कांग्रेस ने संसद में यह कहकर विरोध किया कि इसके पदों पर अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिलना चाहिए।
भूपेन्द्र यादव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘आपने ओबीसी आयोग को भी धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश की।’’ सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यादव की इस बात का विरोध जताया। भूपेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस पिछड़ों को अधिकार देने की बात करती है लेकिन ‘‘सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को अधिकार देने की संकल्पना तो संविधान निर्माताओं ने की थी कांग्रेस ने तो इसे चार दशकों तक लागू नहीं किया।’’
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने क्रीमी लेयर को छह लाख रुपये से आठ लाख रुपये किया और सरकार का उद्देश्य कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों और जवाहर नवोदय विद्यालयों में प्रवेश के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण भी दिया।


