जातिगत जनगणना और महंगाई पर राजद ने किया हल्ला बोल, तेजस्वी और तेजप्रताप यादव शामिल नहीं, नेता और कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
By एस पी सिन्हा | Updated: August 7, 2021 16:02 IST2021-08-07T16:00:55+5:302021-08-07T16:02:13+5:30
जातिगत जनगणना कराने, आरक्षित कोटे से बैकलाग के रिक्त पदों को भरने, मंडल आयोग की बाकी अनुशंसाएं को भी लागू करने की मांगों को लेकर राजद सड़क पर उतरी.

न तेजस्वी और न उनके बडे़ भाई तेज प्रताप और न पार्टी का कोई अधिकारी इस विरोध का हिस्सा बना.
पटनाः बिहार में मौसम के जारी उतार-चढ़ाव के बीच सियासी पारा गर्म है. राजद ने आज मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने की तिथि पर राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया.
जातिगत जनगणना कराने, आरक्षित कोटे से बैकलाग के रिक्त पदों को भरने, मंडल आयोग की बाकी अनुशंसाएं को भी लागू करने की मांगों को लेकर राजद सड़क पर उतरी. राजधानी पटना समेत बिहार के सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया. भारी संख्या में राजद के कार्यकर्ता और नेता सड़क पर उतरे. लेकिन इस कार्यक्रम में तेजस्वी यादव शामिल नहीं हुए.
पूर्व के आंदोलनों में जैसा कि होता रहा है कि ऐन समय पर आंदोलन के नेतृत्वकर्ता ही नदारद हो जाते हैं. एक बार फिर से राजद में वही कहानी दोहरा दी गई और आंदोलन में पार्टी के सेनापति तेजस्वी यादव खुद गायब हो गए. पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं का हुजूम तो उमड़ा, लेकिन इसमें राजद के ए ग्रेड का कोई नेता नजर नहीं आया.
न तेजस्वी और न उनके बडे़ भाई तेज प्रताप और न पार्टी का कोई अधिकारी इस विरोध का हिस्सा बना. इस कार्यक्रम में तेजस्वी यादव भी शामिल होने वाले थे. उन्होंने पहले ही इसका ऐलान किया था, लेकिन तेजस्वी इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए.
हालांकि तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि "सभी देशवासियों को न्याय, समानता और समान प्रतिनिधित्व के उत्साहपूर्ण दिन मंडल दिवस की शुभकामनाएं. आज के इस विशेष दिन हमारी पार्टी जातिगत जनगणना, आरक्षित कोटे की बैकलॉग रिक्तियों को भरने और मंडल कमीशन की शेष अनुशंसाओं को लागू कराने को लेकर सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया."
तेजस्वी ने आगे लिखा कि "हम सामाजिक न्याय के लिए संघर्षों और इंसाफ के मूल्यों के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध हैं. हम सब एकजुट होकर एक समतापूर्ण और विकसित समाज के लिए लड़ें. यह सबों के उत्थान और भविष्य से जुड़ा मसला है. जातीय जनगणना देश के विकास एव समाज के वंचित और उपेक्षित समूहों के उत्थान के किए अति जरूरी है."
यहां बता दें कि बिहार की सियासत जाति आधारित जनगणना को लेकर गर्मायी हुई है. इस मुद्दे को विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए हथियार बनाया है. मामले ने तूल तब पकडा जब केंद्र सरकार के मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि सरकार इस बार जातिगत जनगणना के तहत केवल एससी-एसटी की संख्या गिनती करायेगी.
केंद्रीय मंत्री के इस बयान के बाद ही सियासी तीर चलने शुरू हो गये. विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया. वहीं बिहार में एनडीए के अंदर भी इसे लेकर दो-मत है. जदयू व जीतन राम मांझी की पार्टी हम भी जातिगत जनगणना की मांग कर रही है.