सुप्रीम कोर्ट का आदेश, कोरोना महामारी की वजह से अनाथ हो चुके बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करें सरकारें

By भाषा | Updated: May 28, 2021 18:15 IST2021-05-28T17:23:21+5:302021-05-28T18:15:06+5:30

न्यायालय ने राज्य सरकार से सड़कों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की व्यथा समझने के लिए कहा और जिला प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि अदालतों के किसी भी अगले आदेश का इंतजार किए बिना फौरन उनकी देखभाल की जाए।

Can't imagine how many children have been orphaned due to Kovid-19: Supreme Court | सुप्रीम कोर्ट का आदेश, कोरोना महामारी की वजह से अनाथ हो चुके बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करें सरकारें

(फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से मामले में रविवार तक जवाब दाखिल करने को कहा है।गौरव अग्रवाल ने कहा कि एनसीपीसीआर ने अप्रैल में अवैध रूप से बाल अनाथों को गोद लेने का संज्ञान लिया है।उत्तर प्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने बताया कि ऐसे बच्चों की पहचान के लिए डिस्ट्रिक टास्क फोर्स बनाई गई है।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह इसकी कल्पना तक नहीं कर सकता कि कोविड-19 महामारी के कारण इतने बड़े देश में कितने बच्चे अनाथ हो गए। इसी के साथ उसने राज्य प्राधिकारियों को उनकी तत्काल पहचान करने तथा उन्हें राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने जिला प्रशासन को शनिवार शाम तक अनाथ बच्चों की पहचान करने और उनकी जानकारियां राष्ट्रीय बाल अपराध संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की वेबसाइट पर डालने के निर्देश दिए।उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश स्वत: संज्ञान के एक लंबित मामले में न्यायमित्र गौरव अग्रवाल की अर्जी पर दिया। इस अर्जी में राज्य सरकार द्वारा अनाथ बच्चों की पहचान करने तथा उन्हें तत्काल राहत मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार इन बच्चों की स्थिति और उन्हें तत्काल राहत पहुंचाने के लिए उठाए कदमों के बारे उसे जानकारी दें।न्यायालय ने कहा, ‘‘हमने कहीं पढ़ा था कि महाराष्ट्र में 2,900 से अधिक बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है। हमारे पास ऐसे बच्चों की सटीक संख्या नहीं है। हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि इस विध्वंसकारी महामारी के कारण इतने बड़े देश में ऐसे कितने बच्चे अनाथ हो गए।’’

उसने राज्य सरकार के वकील से कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि आप सड़कों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की व्यथा समझते हैं। आप कृपया राज्य प्राधिकारियों को उनकी मूलभूत जरूरतों का फौरन ख्याल रखने को कहें।’’शीर्ष न्यायालय ने कहा कि केंद्र ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के संरक्षण के लिए संबंधित प्राधिकारियों को पहले ही परामर्श जारी कर दिया है।

पीठ ने किशोर न्याय कानून के विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ऐसे बच्चों की देखभाल करना प्राधिकारियों का कर्तव्य है।’’न्यायालय ने कहा कि जिला प्रशासन प्राधिकारी ऐसे अनाथ बच्चों की ताजा जानकारी शनिवार शाम तक एनसीपीसीआर की ‘बाल स्वराज’ वेबसाइट पर डाले।उसने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार महामारी के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खोने वाले बच्चों की पहचान पर ताजा जानकारी हासिल करें और उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाए।’’

इसके साथ ही न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए एक जून की तारीख तय की।मामले की सुनवाई शुरू होने पर अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने यह अर्जी इसलिए दाखिल की है क्योंकि ऐसे कई बच्चे हैं जिन्होंने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया और राज्य सरकार को फौरन उनकी देखभाल करने की आवश्यकता है।

अग्रवाल ने कहा कि चिंता की एक और बात यह है कि बच्चों खासतौर से लड़कियों की तस्करी के मामले बढ़ गए हैं। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सरकार ने अनाथ या जरूरतमंद बच्चों की देखभाल करने के लिए राज्य सरकार को पहले ही परामर्श जारी कर दिया है।उन्होंने कहा कि एनसीपीसीआर ने एक पोर्टल बनाया है और वह ऐसे बच्चों का पता लगा रहा है जो महामारी के कारण अनाथ हो गए।

एनसीपीसीआर की ओर से पेश हुई वकील स्वरूपमा चतुर्वेदी ने कहा कि उनके पास ऐसे बच्चों का पता लगाने के लिए ‘बाल स्वराज’ पोर्टल है और जिला स्तर पर अधिकारियों को ऐसे बच्चों की जानकारियां अपलोड करने के लिए इसके पासवर्ड दिए गए हैं।
 

Web Title: Can't imagine how many children have been orphaned due to Kovid-19: Supreme Court

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