गंगा बेसिन के पांच राज्यों में एक चौथाई जलाशय सूखे, बारिश की बूंदों को सहेजने का चलेगा अभियान

By भाषा | Updated: March 11, 2021 16:50 IST2021-03-11T16:50:34+5:302021-03-11T16:50:34+5:30

Campaign to save one-fourth of reservoir drought, rain drops in five states of Ganga basin | गंगा बेसिन के पांच राज्यों में एक चौथाई जलाशय सूखे, बारिश की बूंदों को सहेजने का चलेगा अभियान

गंगा बेसिन के पांच राज्यों में एक चौथाई जलाशय सूखे, बारिश की बूंदों को सहेजने का चलेगा अभियान

(दीपक रंजन)

नयी दिल्ली, 11 मार्च देश में घटते भूगर्भ जल के कारण उत्पन्न संकट के बीच गंगा बेसिन के पांच राज्यों में सिकुड़ते जलाशयों ने खतरे की घंटी बजा दी है । आबादी की बसावट के विस्तार, ठोस कचरा फेंकने एवं अन्य कारणों से उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में 28 प्रतिशत जलाशय सूख गये हैं। इन जलाशयों में तालाब, कुएं और बावड़ी आदि शामिल हैं।

ऐसे में सरकार स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जल मिशन के तहत बारिश की बूंदों को सहेजने के लिये अप्रैल से जून 2021 के बीच ‘कैच दी रेन....वेयर इट फाल्स, वेन इट फाल्स’(बारिश की बूंदों को सहेजे : जहां वे गिरे, जब वे गिरे) नामक देशव्यापी अभियान शुरू करने जा रही है ।

गंगा बेसिन में स्थित जलाशयों पर इस वर्ष फरवरी में क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया के गणना सर्वेक्षण के प्रारंभिक आंकड़े स्थिति की गंभीरता को प्रदर्शित करते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, गंगा बेसिन के पांच राज्यों में 578 जलाशयों में से 28 प्रतिशत जलाशय सूख गए, जबकि 411 जलाशय आबादी की बसावटों से घिरे पाए गए। इसके कारण जलाशयों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है ।

इससे पहले, केन्द्रीय भूजल बोर्ड के साल 2017 के अध्ययन के मुताबिक, देश में कुल 6881 ब्लाकों/मंडलों में भूजल स्तर को लेकर कराये गए सर्वेक्षण में 1186 ब्लाक/मंडलों में भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन किया गया है जबकि 313 ब्लाक/मंडलों को भूजल की दृष्टि से गंभीर माना गया है ।

साल 2003 से 2012 के दौरान देश में 56 प्रतिशत कुओं में जलस्तर में काफी गिरावट दर्ज की गई है।

जल शक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘‘भाषा’’से कहा, ‘‘ मंत्रालय ने युवा मामलों के विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसमें जल शक्ति अभियान-2 के तहत एक अप्रैल से 30 जून के दौरान ‘कैच दी रेन....वेयर इट फाल्स, वेन इट फाल्स’ नाम से देशव्यापी अभियान शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है । ’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी पंचायतों एवं नागरिकों से ज्यादा से ज्यादा बारिश के जल के संचयन पर बल देने की अपील की है ।

‘कैच दी रेन’ अभियान में सरकार के सात मंत्रालय हिस्सा लेंगे। इसमें आईआईटी, आईआईएम सहित विभिन्न राज्य सरकारों के विभाग, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, रेलवे, सशस्त्र सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, विश्वविद्यालय सहित शिक्षण संस्थान सहयोग करेंगे ।

अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत प्रारंभिक कदम के रूप में नेहरू युवा केंद्र संगठन के सहयोग से तीन महीने का जागरूकता कार्यक्रम पूरे देश के 623 जिलों के 31,150 गांवों में चलाया जायेगा और इसमें युवा क्लबों को शामिल किया जायेगा ।

जल शक्ति मंत्रालय के ब्यौरे के मुताबिक, राष्ट्रीय जल मिशन के तहत राज्यों और जिला मजिस्ट्रेटों (डीएम) से अनुरोध किया गया है कि वे हर जिला मुख्यालय में ‘वर्षा केंद्र ’स्थापित करें। इन वर्षा केंद्रों को भविष्य में “जल शक्ति केंद्रों” के रूप में विकसित किया जा सकता है ।

ये वर्षा केंद्र जल संबंधी मामलों जैसे वर्ष जल संचयन प्रणाली (आरडब्ल्यूएचएस) की स्थापना, जल निकायों से गाद की सफाई, भू-जल संचयन, कृषि, उद्योग और पेयजल में पानी को बचाने के तरीकों इत्यादि के बारे में ज्ञान केंद्रों के रूप में काम करेंगे।

‘कैच दी रेन’ अभियान के तहत वर्षा जल को एकत्रित करने वाले गड्ढे, चेक डैम आदि बनाने, जलाशयों की संग्रहण क्षमता बढ़ाने के लिए उनमें अतिक्रमण दूर करने और उनमें जमा गाद हटाने, बारिश के पानी को जलाशयों तक लाने वाले मार्गों को साफ करने जैसे अभियान चलाने का कार्यक्रम तय किया गया है ।

इस अभियान के तहत अलावा सीढ़ीदार कुओं की मरम्मत करने और बंद पड़े नलकूपों का वर्षा जल को दोबारा जमीन में डालने के लिए इस्तेमाल करने जैसी गतिविधियों को अपनाने की भी सलाह दी गई है।

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Web Title: Campaign to save one-fourth of reservoir drought, rain drops in five states of Ganga basin

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