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Cambridge Analytica: जब अमरीश त्यागी ने बताया डाटा के इस्तेमाल से चुनाव जीतने का तरीका, बीजेपी और कांग्रेस ने ली सेवाएं!

By आदित्य द्विवेदी | Updated: March 23, 2018 07:54 IST

ब्रिटेन के चैनल-4 ने अपनी खोजी रिपोर्ट में खुलासा किया कि Cambridge Analytica नामक कंपनी ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव 2016 में यूजर्स के फेसबुक डाटा का इस्तेमाल किया था। ये कंपनी अमेरिका, ब्रिटेन और भारत में राजनीतिक पार्टियों को अपनी सेवा देती रही है।

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नई दिल्ली, 23 मार्च: ब्रिटिश डाटा एनालिटिक्स फर्म 'कैम्ब्रिज एनालिटिका' विवादों में है। इस कंपनी पर लोगों का पर्सनल डाटा चोरी करके चुनाव प्रभावित करने के आरोप हैं। इसके तार अमेरिका और ब्रिटेन के साथ दुनिया के कई देशों से जुड़े हुए हैं। कैम्ब्रिज एनालिटिका फर्म का भारतीय साझीदार ओवलेनो बिजनेस इंटेलिजेंस (ओबीआई) है , जिसने डाटा का चतुराई पूर्वक इस्तेमाल करके चुनाव प्रभावित किए। ओबीआई के मुखिया जेडी(यू) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी हैं। मोबाइल का इस्तेमाल करके चुनाव जीतना अमरीश त्यागी के कंपनी की खासियत है। अमरीश त्यागी ने बताया था कि उनकी कंपनी की सेवाएँ बीजेपी, यूथ कांग्रेस झारखंड और जेडी (यू) ने ली है। अमरीश त्यागी ने पिछले साल इकोनॉमिक टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया था जिसमें उन्होंने डाटा का इस्तेमाल करके चुनाव जिताने की पूरी प्रक्रिया पर बात की। उन्होंने समझाया कि कैसे डाटा का इस्तेमाल करके चुनाव प्रभावित किए जाते हैं। पढ़िए अमरीश त्यागी ने खुद इस बारे में क्या कहा था- 

- 2010 के शुरुआती दिनों में हम मोबाइल को राजनीतिक टूल के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहे थे। मुझे अभी भी याद है कि कुछ राजनेताओं ने मुझसे पूछा था कि भला मोबाइल और कम्प्यूटर का इस्तेमाल करके चुनाव कैसे जीता जा सकता है?

- पहले ग्रामीण क्षेत्रों के भरोसे चुनाव लड़े जाते थे। लेकिन वैश्वीकरण के बाद परिस्थितियां बदली। पहले घर का सबसे बड़ा मुखिया तय करता था कि परिवार का वोट किसे देना है अब वो तय करता है जो सबसे ज्यादा कमाता है। ये ऐसे युवा होते हैं जिन्होंने शहरों की ओर पलायन किया। ये सभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। भारत में 60 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स हैं। सोशल मीडिया के जरिए लोगों का ओपिनियन बनाना आसान है। 

- मोबाइल फोन के जरिए संदेश भेजकर जनता की सोच को बहुत तेजी से बदला जा सकता है। इसकी अपेक्षा भाषण और पोस्टर बेहद कम प्रभावी हैं। पहले राजनेता की एक गलत बयानी महीनों की मेहनत पर पानी फेर सकती थी। लेकिन आजकल मोबाइल फोन के जरिए छवि में आसानी से सुधार किया जा सकता है।

- 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मैं वार रूम में बैठा था। अचानक नीतीश कुमार की एक फोटो दिखाई दी जिसमें वो एक तांत्रिक को गले लगा रहे हैं। यह तस्वीर तेजी से वायरल हो गई। हमें इसका जवाब देना था। हमने मिनटों में स्मृति ईरानी की एक पुरानी तस्वीर निकाली जिसमें वो एक नजूमी को अपना हाथ दिखा रही हैं। नजूमी ने उनके राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी की थी। ऐसे मामलों में आपको बेहद तेज काउंटर करना होता है।

- अगर किसी के पास डाटा एनालिटिक्स है तो वह कभी भी चुनाव का रुख मोड़ सकता है। 2016 के अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की बेटी इवांका ने वर्जीनिया के एक मंदिर में पूजा की थी। यह दांव निर्णायक साबित हुआ।

- अमेरिकी चुनाव के दौरान हमारा काम इंडियन-अमेरिकन जनसंख्या की समस्याओं का पता लगाना था। उस वक्त वो ट्रंप के जॉब और प्रवासी नियमों को लेकर डरे हुए थे। मेरी रिसर्च में कुछ रोचक जानकारियां मिली। जॉब और प्रवासी नियमों में डर के बावजूद वो विचारधारा में ट्रंप के साथ थे। उदाहरण के लिए उसका पाकिस्तान को लेकर नजरिए। हमने सुझाव दिया कि भारतीयों की जॉब को निशाने पर लेना बंद कर देना चाहिए। आगे के चुनाव प्रचार में हमने देखा कि डोनाल्ड ट्रंप भारतीयों के प्रदर्शन और बुद्धिमत्ता की तारीफ कर रहे हैं।

- लोगों का डाटा इकट्ठा करने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका पब्लिक डोमेन का इस्तेमाल करता है। आप कहां से शॉपिंग करते हैं, एप्पल स्टोर से कौन सा म्यूजिक खरीद हैं, सलून महीने में कितनी बार जाते हैं। इन्हीं जानकारियों के आधार पर मैसेज तैयार किए जाते हैं।

यह भी पढ़ेंः डाटा चोरी मामले पर केसी त्यागी बोले- मेरे बेटे अमरीश और जेडीयू का कैम्ब्रीज एनालाइटिक के बीच कोई संबंध नहीं

अमरीश त्यागी ने अपने बयानों में साफ तौर पर कहा है कि बीजेपी, कांग्रेस और जेडी(यू) ने उनकी कंपनी की सेवाएं ली हैं। इसके बावजूद दोनों पार्टियां इससे इनकार कर रही हैं। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाला देते हुए पूछा है कि राहुल गांधी बताएं कि कैम्ब्रिज एनालिटिका से उन्हें किस प्रकार का फायदा हुआ? कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने नहीं बल्कि बीजेपी ने कैम्ब्रिज एनालिटिका का इस्तेमाल किया है। दोनों पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप के कई राउंड होने की उम्मीद है।

राउंड एक- रविशंकर प्रसाद का पहला पंच

रूस में एक कहावत है- 'अगर लड़ाई होना तय है तो पहला पंच तुम मारो'। केंद्रीय कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने इसी कहावत का पालन किया है। जब डाटा चोरी के आरोप में कैम्ब्रिज एनालिटिका के सीईओ अलेक्जेंडर निक्स को बर्खास्त किया गया तो पूरी दुनिया में चर्चा शुरू हो गई। इसकी आंच भारत के चुनावों तक आनी शुरू हुई तो बीजेपी ने पहला पंच मारना ठीक समझा। रविशंकर प्रसाद ने कई मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कांग्रेस पर 2019 के चुनाव में कैम्ब्रिज एनालिटिका के इस्तेमाल के आरोप लगाए। उन्होंने कहा, 'क्या अब कांग्रेस वोटर को प्रभावित करने के लिए डाटा मैनिपुलेशन का इस्तेमाल करेगी। इन दिनों खबरें आ रही हैं कि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने डाटा चोरी किया जिसका इस्तेमाल लोगों को प्रभावित करने में हो सकता है। क्या कांग्रेस इसे नकारेगी?'

राउंड दो- कांग्रेस का पलटवार, बीजेपी साझीदार

बीजेपी के आरोपों को कांग्रेस ने सिरे से खारिज किया है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'कांग्रेस और उनके अध्यक्ष ने कभी भी कैम्ब्रिज एनालिटिका की सेवाओं का इस्तेमाल नहीं किया है।' सुरजेवाला ने कैम्ब्रिज एनालिटिका की भारतीय सहयोगी ओवलीन बिजनेस इंटेलिजेंस की वेबसाइट का हवाला देते हुए कहा कि इसकी सेवाओं का इस्तेमाल बीजेपी और जेडीयू ने किया था। उन्होंने कहा कि  2009 में राजनाथ सिंह ने भी इसकी सेवाएं ली थी।

राउंड तीन- फेसबुक ने मानी गलती, मांगी माफी

फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने डाटा चोरी की गलती स्वीकार कर ली है। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी गलती है और मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। जुकरबर्ग ने सीएनएन न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि मैं अपने यूजर्स को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि दोबारा ऐसा नहीं होगा। मार्क जुकरबर्ग का पूरा इंटरव्यू आप यहां देख सकते हैं...

कैम्ब्रिज एनालिटिका घोटालाः एक नजर

कैम्ब्रिज एनालिटिका पर आरोप है कि उसने 2016 के अमेरिका चुनाव के दौरान फेसबुक डाटा का इस्तेमाल वोटर रिसर्च और डोनाल्ड ट्रंप की कैम्पेनिंग करने के लिए किया था। ब्रिटेन के चैनल 4 ने सोमवार को एक इंनवेस्टिगेशन किया था जिसमें कैम्ब्रिज एनालिटिका के सीईओ अलेक्जेंडर निक्स बोले रहे हैं कि उनकी फर्म ने पूरी दुनिया में राजनेताओं को जिताने के लिए सेक्स वर्कर, घूस और सूचनाओं का दुरुपयोग किया। विवाद इसलिए पैदा हुआ क्योंकि लोगों के पर्सनल डाटा का इस्तेमाल कैम्ब्रिज एनालिटिका ने राजनीतिक कैम्पेन बनाने के लिए किया। इसमें अमेरिकी चुनाव और ब्रेक्जिट वोट प्रमुख थे।

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