राफेल डील मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के दावे को झटका, CAG करेगा जांच

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: June 6, 2018 10:28 IST2018-06-06T10:27:16+5:302018-06-06T10:28:53+5:30

देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक दिन पहले ही दावा किया था कि राफेल डील में कोई घोटाला नहीं हुआ था।

CAG will investigate Raphael deal defense minister Nirmala Sitharaman | राफेल डील मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के दावे को झटका, CAG करेगा जांच

राफेल डील मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के दावे को झटका, CAG करेगा जांच

नई दिल्ली, 6 जूनः नियंत्रक व महालेख परीक्षक (कैग) राफेल विमान डील मामले की जांच करेगा। कैग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक फ्रांस के सा‌थ हुए 58000 करोड़ के राफेल डील की जांच होगी। इसमें 36 राफेल विमान खरीदे गए थे। कांग्रेस का आरोप है कि इसमें सरकार ने वित्तीय अनियमितता की और जानबूझ कर अधिक पैसे में विमान खरीदे गए।

ऐसा पहले भी होता रहा है जब रक्षा संबंधी मामलों की कैग जांच करता रहा है। हालांकि इस मामले में देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक दिन पहले ही दावा किया था कि कोई घोटाला नहीं हुआ था। लेकिन कांग्रेस लगातार इसमें घोटाले का आरोप लगा रही है।

राफेल सौदे में कोई घोटाला नहीं हुआ : रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे में कोई घोटाला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे जुड़े आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। रक्षा मंत्री ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि भारत जिस कीमत पर लड़ाकू विमान खरीद रहा है और कुछ अन्य देश जिस कीमत पर मोल - भाव कर रहे हैं , उनमें गलत तुलना की गई।

उन्होंने राफेल सौदे में घोटाला होने के आरोपों पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वह आश्वस्त कर रही हैं कि राफेल में कोई घोटाला नहीं हुआ। हम इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं। राजग सरकार के चार साल पूरे होने के मौके पर निर्मला रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थी। 

यह पूछे जाने पर कि क्या वह भरोसा दिला सकती हैं कि राफेल सौदे में एक रूपये का भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ , रक्षा मंत्री ने कहा , ‘‘ बिल्कुल ’’ ।  उन्होंने आरोपों को ‘ प्रेरित हमला ’ बताया। मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले चार साल में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा है। 

गौरतलब है कि भारत ने 58,000 करेड़ रूपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इन लड़ाकू विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से होने की उम्मीद है।

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कांग्रेस ने इन विमानों की कीमत सहित सौदे के बारे में कई सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी पार्टी ने सरकार पर राजकोष को नुकसान पहुंचाते हुए राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है। 

कांग्रेस उपकरणों और हथियारों की कीमत सहित सौदे का ब्योरा मांग रही है। उसका दावा है कि उसके शासन के तहत जिस सौदे के लिए मोल भाव किया गया था वह मोदी सरकार द्वारा किए गए सौदे से काफी सस्ता था। सरकार सौदे के बारे में संसद में कीमत का वस्तुवार और अन्य ब्योरा देने से इनकार कर रही है। इसके लिए वह 2008 के भारत - फ्रांस समझौते के गोपनीयता प्रावधानों का हवाला दे रही है। 

गौरतलब है कि संप्रग सरकार ने 126 लड़ाकू विमानों के लिए 10.2 अरब डॉलर का मोल भाव किया था। लेकिन यह सौदा नहीं हो पाया था। 

(भाषा के इनपुट से)

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