CAG की रिपोर्ट शेयर कर कांग्रेस का मोदी सरकार पर पलटवार, कहा- सेना के नाम वोट बटोरेंगे, लेकिन जवानों की जरूरतों से मुंह लेते हैं
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 4, 2020 06:39 PM2020-02-04T18:39:08+5:302020-02-04T18:39:08+5:30
भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को पर्याप्त मात्रा में कैलरी भी नहीं मिल पा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि बर्फीली चोटियों पर तैनाती के लिए खास कपड़ों की जरूरत होती है, लेकिन उसकी खरीद में भी काफी देरी हुई।
कांग्रेस के दिग्गज नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को आडे़ हाथ लेते हुए उस पर निधाना साधा है। उन्होंने बीजेपी पर भारतीय सेना के नाम पर वोट बटोरने का आरोप लगाया है। दरअसल, भारतीय सेना सियाचिन, लेह और लद्दाख जैसे खतरनाक इलाकों में तैनात है। इस संबंध में कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल(सीएजी) ने सोमवार को संसद में एक रिपोर्ट पेश की थी।
इस रिपोर्ट में सीएजी ने बताया था कि भारतीय सैनिकों को इन जगह पर कपड़े, जूते, स्पीलिंग बैग और सन ग्लासेज जैसे जरूरी समाने की भारी किल्लत का सामना करना पड़ा है। इस संबंध में रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी भारतीय सैनिकों के नाम पर वोट से बटोर रही है, लेकिन जरूरत के समय मुंह मोड़ लेती है।
सुरजेवाला ने बुधवार (04 फरवरी) को सीएजी की रिपोर्ट शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'सेना के नाम पर वोट खूब बटोरेंगे, लेकिन जवानों की जरूरतों से मुंह मोड़ेंगे। सीएजी रिपोर्ट ने खोली बीजेपी के झूठे राष्ट्रवाद की पोल। 5 साल से सियाचिन में न जरूरी कपड़े, न उपकरण। न स्नो गूगलस, न मास्क, न जूते। न स्पेशल राशन, न सही रहने का इंतजाम।'
सेना के नाम पर वोट खूब बटोरेंगे,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) February 4, 2020
पर जवानों की ज़रूरतों से मुँह मौड़ेंगे।
कैग रिपोर्ट ने खोली भाजपा के झूठे राष्ट्रवाद की पोल-
1. 5 साल से सियाचिन में न ज़रूरी कपड़े, न उपकरण।
2. न स्नो गूगलस, न मास्क, न जूते।
3. न स्पेशल राशन, न सही रहने का इंतज़ाम।https://t.co/jO9uuFgCXX
भारतीय सैनिकों के बारे में क्या कहती है सीएजी रिपोर्ट
भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को पर्याप्त मात्रा में कैलरी भी नहीं मिल पा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि बर्फीली चोटियों पर तैनाती के लिए खास कपड़ों की जरूरत होती है, लेकिन उसकी खरीद में भी काफी देरी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट नहीं मिलने की वजह से सैनिकों को पुराने जूते रिसाइकल कर पहनना पड़ा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हाई एलटीट्यूट एरिया में सैनिकों के लिए राशन का स्पेशल स्केल उनकी डेली एनर्जी जरूरत को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। हालांकि बेसिक आइटम के बदले में सब्स्टिट्यूट को सीमित प्रतिशत और ‘लागत के आधार’ पर भी ऑथराइज्ड किया गया। साथ ही बेसिक आइटम की जगह पर महंगे सब्स्टिट्यूट को समान कीमत पर सेंग्शन करने की वजह से सैन्य दलों द्वारा ली जाने वाली कैलरी की मात्रा कम हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सेना की ईस्टर्न कमांड ने ओपन टेंडर सिस्टम के जरिए कॉन्ट्रैक्ट दिया था लेकिन नॉर्दन कमांड में लिमिटेड टेंडरिंग के जरिए खरीद की गई जिससे निष्पक्ष कॉम्पिटिशन बाधित हुआ।
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2019 में रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि बजट की तंगी और आर्मी की जरूरतों में बढ़ोतरी की वजह से जवानों को ये किल्लत हुई। फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए जिससे सैनिक बेहतर प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करने से वंचित रहे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डिफेंस लैब में रिसर्च और डिवेलपमेंट की कमी और स्वदेशीकरण में विफलता की वजह से सामान आयात करने पर ही निर्भरता रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग बढ़कर 64,131 हो गई। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि धीरे-धीरे इन कमियों को पूरा कर लिया जाएगा।