संशोधित नागरिकता कानून को रद्द करने की मांग को लेकर मुस्लिम संगठनों ने यहां सोमवार को जिलाधिकारी को एक लाख लोगों के हस्ताक्षर के साथ ज्ञापन सौंपा।
मुस्लिम संगठनों से जुड़े करीब एक हजार लोगों ने यहां सीएए के विरोध में पहले जुलूस निकाला और बाद में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। तमिलनाडु मुस्लिम मुनेत्र कझगम और मनिथानेया मक्कल कात्ची ने एक हफ्ते पहले हस्ताक्षर अभियान की पहल शुरू की थी।
महिलाओं और बच्चों समेत कार्यकर्ताओं ने संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करते हुए जुलूस निकाला। दोनों संगठनों के प्रतिनिधियों ने संवाददाताओं को बताया कि कई राज्यों ने कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है, ऐसे में तमिलनाडु सरकार को भी ऐसा ही करना चाहिए।
सीएए और एनआरसी के विरोध में मुस्लिम महिलाएं धरने पर बैठीं
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में चल रहे विरोध के बीच यहां रोशन बाग के मंसूर अली पार्क में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं सीएए और एनआरसी के विरोध में कल से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गई हैं। मंसूर अली पार्क में धरने पर बैठीं सारा अहमद ने केंद्र की मोदी सरकार पर सांप्रदायिक हमले का आरोप लगाते हुए कहा, "हम नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को अलग-अलग नहीं देखते, बल्कि ये एक दूसरे से जुड़े हैं।"
उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए देश का संवैधानिक ढांचा तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसलिए हम सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। इस धरने में शहर के चौक, करेली, चकिया आदि इलाकों से हजारों की संख्या में महिलाएं शामिल हो रही हैं।
एक अन्य महिला सीमा आजाद ने कहा, "एनआरसी के जरिए हमें अपनी ही नागरिकता साबित करने को कहा जा रहा है, जबकि हमारे बाप-दादा सैकड़ों साल से यहां रह रहे हैं। हम हमारे पुरखों का प्रमाण कहां से पेश करेंगे।" इस संबंध में एक अन्य महिला ने कहा कि जब तक एनआरसी पर रोक नहीं लगती, हम अपना धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे।