भारतीय मानक ब्यूरो में ट्रांसफर-पोस्टिंग के खिलाफ आवाज उठाने वाले अधिकारियों को बिना काम बांटी जा रही मोटी तनख्वाह

By एसके गुप्ता | Updated: October 30, 2020 19:16 IST2020-10-30T19:16:30+5:302020-10-30T19:16:30+5:30

वैज्ञानिकों श्रेणी के अधिकारियों ने इसके विरुद्ध कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्हें स्टे मिल गया तो बीआईएस की ओर से इन अधिकारियों को कामकाज नहीं दिया जा रहा है। यह लोग कार्यालय आते हैं और बिना कोई काम किए उपस्थिति दर्ज करा चले जाते हैं।

Bureau of Indian Standards Officers raise voice against transfer-posting being paid no heed | भारतीय मानक ब्यूरो में ट्रांसफर-पोस्टिंग के खिलाफ आवाज उठाने वाले अधिकारियों को बिना काम बांटी जा रही मोटी तनख्वाह

तीन माह बाद जून 2020 में फिर से 147 अधिकारियों को इधर-उधर ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए गए। (file photo)

Highlightsएफ से जी श्रेणी के वैज्ञानिकों की पोस्टिंग-ट्रांसफर बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के नियमों को ताक पर रख कर दी गई।पूरे देश में ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग सहित उद्योगिक विकास व मानकों को लेकर काम किया जाना है।सरकारी खजाने पर हर माह करीब 2 से 2.5 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है।

नई दिल्लीः कोरोना काल में जहां सरकार अपने खर्चों में कटौती कर रही है वहीं भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) में पहले तो एफ से जी श्रेणी के वैज्ञानिकों की पोस्टिंग-ट्रांसफर बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के नियमों को ताक पर रख कर दी गई।

जब डिप्टी डायरेक्टर और वैज्ञानिकों श्रेणी के अधिकारियों ने इसके विरुद्ध कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्हें स्टे मिल गया तो बीआईएस की ओर से इन अधिकारियों को कामकाज नहीं दिया जा रहा है। यह लोग कार्यालय आते हैं और बिना कोई काम किए उपस्थिति दर्ज करा चले जाते हैं।

जिससे सरकारी खजाने पर हर माह करीब 2 से 2.5 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है। जबकि पूरे देश में ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग सहित उद्योगिक विकास व मानकों को लेकर काम किया जाना है। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने जनवरी-फरवरी माह में विभागीय अधिकारियों की बड़ी संख्या में ट्रांसफर पोस्टिंग कर दी।

इसके तीन माह बाद जून 2020 में फिर से 147 अधिकारियों को इधर-उधर ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए गए। इनमें से अधिकांश वही लोग थे जिनका फरवरी में ट्रांसफर किया गया था। कोरोना काल में वैज्ञानिक और डिप्टी डायरेक्टर स्तर के अधिकारियों की बड़े पैमाने पर ट्रांसफर आदेश को लेकर मंत्रालय ने भी आपत्ति जताई की बिना मंत्रालय की अनुमति के यह ट्रांसफर पोस्टिंग क्यों किए जा रहे हैं।

लेकिन बीआईएस महानिदेशक की ओर से इस पर कोई सफाई नहीं दी गई है। ट्रांसफर के विरोध में जिन अधिकारियों ने आवाज उठाई उन्हें निलंबित कर बहाल भी किया जा रहा है। बीआईएस में इस तरह की घटनाओं से हड़कंप मचा हुआ है। बीआईएस के करीब दस अधिकारी ऐसे हैं जो डेप्यूटेशन नियमों और कोरोना काल में 3 महीने में ही दोबारा ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर कर न्यायालय से स्टे ले आए हैं।

अब इन अधिकारियों का कहना है कि बीआईएस महानिदेशक के निर्देश हैं कि कोर्ट जाने वाले अधिकारियों और वैज्ञानिकों से कोई काम न लिया जाए। जिससे हर महीने करीब 2 से 2.5 करोड़ रुपए का वेतन बिना काम किए विभागीय अधिकारियों को दिया जा रहा है।

कोर्ट से स्टे लेने वाले अधिकारी :

1.        इंद्रपाल, डिप्टी डायरेक्टर/वैज्ञानिक सी श्रेणी

2.       सतीश कुमार, डायरेक्टर एआरओ/वैज्ञानिक

3.       आर भानुप्रकाश, डायरेक्टर बीएनबीओएल/वैज्ञानिक-ई श्रेणी

4.       विजय कुमार सिंह, ज्वाइंट डायरेक्टर जयपुर/ वैज्ञानिक-डी श्रेणी

5.       डा. राजीव वत्स, एनआरओ

6.       अनुज.एस

7.       मोहम्मद मेल, डायरेक्टर गाजियाबाद

8.       सुरेश कुमार गोपालन/बेंगलूरू

9.       दिव्यांशु, गाजियाबाद 

Web Title: Bureau of Indian Standards Officers raise voice against transfer-posting being paid no heed

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