दो साल के बेटे के ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के लिए एक से दूसरे राज्य भागता रहा बीएसएफ जवान, जानें पूरा मामला
By विनीत कुमार | Published: December 15, 2022 12:48 PM2022-12-15T12:48:25+5:302022-12-15T12:49:00+5:30
बिहार से ताल्लुक रखने वाले एक बीएसएफ जवान को अपने दो साले के बेटे के ऑपरेशन के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य तक भागना पड़ा। आखिरकार दिल्ली के एम्स में बेटे का सफल ऑपरेशन हो सका।
नई दिल्ली: पहले भागे-भागे पटना के एम्स और फिर लखनऊ के संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एसजीपीजीआई), लेकिन दोनों ही जगहों पर अस्पताल ने बिस्तर नहीं होने की बात करते हुए एक बीएसएफ जवान के गंभीर रूप से बीमार दो साल के बेटे को भर्ती करने से मना कर दिया।
आखिरकार, बीएसएफ जवान को राहत सोमवार को मिली जब जवान के बेटे के ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन दिल्ली के एम्स में सफल तरीके से हुआ।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बीएसएफ जवान ने बताया कि उसने सबसे पहले पटना के एम्स में बच्चे को भर्ती कराने के लिए काफी मिन्नते की। वहां सफलता नहीं मिली तो जवान उसे लखनऊ के एसजीपीजीआई ले आया है, हलांकि यहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी।
जवान की पहचान जाहिर नहीं की गई है। जवान ने बताया, 'मैंने सीमा पर देश की सेवा करता हूं लेकिन कोई मेरी मदद के लिए तैयार नहीं था, जबकि मैंने एक सैनिक के तौर पर और अपनी आईडी दिखाते हुए भी उनसे काफी मिन्नतें की।'
सीनियर बीएसएफ अधिकारी के ट्वीट के बाद मिली मदद
जवान ने बताया कि वह एम्स, दिल्ली का बहुत आभारी है जिसने उसके गंभीर रूप से बीमार बेटे की जान बचा ली। जवान ने बताया कि बीएसएफ से उसके एक सीनियर ने ट्वीट कर इस संबंध में मदद मांगी थी, इसके बाद एक एनजीओ ने जवान का एम्स के एक डॉक्टर से संपर्क कराया।
अपनी आपबीती बताते हुए जवान ने कहा कि वह पहली बार 8 दिसंबर को एम्स, पटना गया था जहां डॉक्टरों ने उसके बेटे का एमआरआई किया और उसे बताया कि हालत गंभीर है और तत्काल न्यूरोलॉजिकल सर्जरी की जरूरत है। हालांकि, उन्होंने कहा कि बाल चिकित्सा आईसीयू में कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं है और वे बच्चे को भर्ती नहीं कर सकते।
इसके बाद पिता ने लखनऊ जाने के लिए 18,000 रुपये में एक एम्बुलेंस किराए पर ली। वहां के अस्पताल ने भी लड़के को भर्ती करने से मना कर दिया। ऐसे में बीएसएफ जवान ने सारी उम्मीद खो दी क्योंकि उसके पास किसी प्राइवेट अस्पताल में बेटे का इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे।
गोरखपुर में मिली मदद की आस
जवान ने कहा, 'लेकिन मैं अपने लड़के को अंतिम सांस लेते हुए नहीं देख सकता था। इसलिए, मैंने उन्हें बिहार में घर जाने के रास्ते में गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया।' जवान के इस फैसले के आधे घंटे बाद, बीएसएफ में उसके एक दोस्त ने उनकी दुर्दशा के बारे में एक ट्वीट पोस्ट किया। इस पोस्ट के बाद एक एनजीओ से जवाब मिला, जिसने उन्हें दिल्ली के एम्स में एक डॉक्टर से संपर्क कराया।
आखिरकार जवान की उम्मीद एक बार फिर जगी। जवान ने फिर तुरंत गोरखपुर से दिल्ली एम्स तक की 800 किमी की यात्रा की, जहां 10 दिसंबर को डॉक्टरों ने तत्काल इलाज शुरू किया और दो दिन बाद 12 दिसंबर को ट्यूमर को निकालने के लिए पांच घंटे का ऑपरेशन किया गया। सर्जरी करने वाले एम्स के न्यूरोसर्जन डॉ दीपक गुप्ता ने कहा कि भर्ती के वक्त दो साल का बच्चा बेहोश था। डॉ. गुप्ता ने कहा, 'उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया और बाद में सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया।'