बिहार में दिमागी बुखार का कहर: मुजफ्फरपुर में 31 बच्चों की मौत, अब तक 56 बच्चों की गई जान
By स्वाति सिंह | Published: June 12, 2019 10:36 AM2019-06-12T10:36:58+5:302019-06-12T10:45:22+5:30
24 घंटे में 20 बच्चों की मौत रविवार से सोमवार तक इस बीमारी की वजह से 20 बच्चों की मौत हो गई है। बीमारी के कहर को देखते हुए चार आईसीयू चालू किए गए हैं, फिर भी बच्चों के लिए बेड कम पड़ रहे हैं। अस्पतालों में अलर्ट जारी किया गया है।
बिहार के मुजफ्फरपुर सहित कुल पांच जिलों में दिमागी बुखार के चलते 31 बच्चों की मौत हो गई है। दिमागी बुखार से 12 जिले और 222 प्रखंड प्रभावित हैं। मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर और वैशाली जिलों में दिमागी बुखार का कहर तेज हो गया है। इसके चलते अबतक 56 बच्चों की जान गई है।
एसकेएमसीएच हॉस्पिटल के अधीक्षक सुनील शाही ने समाचार एजेंसी को बताया कि एक से दो जून तक तेरह बच्चों को हॉस्पिटल में लाया गया, जिसमें से 3 की मौत हुई। जबकि 2 जून के बाद अबतक 86 को भर्ती किया गया है, जिनमें 31 की मौत हो चुकी है।
बुखार से पीडि़त लगभग 100 बच्चों का जिले के एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में इलाज जारी हैं।
Bihar: 31 children have died in Muzaffarpur reportedly due to Acute Encephalitis Syndrome (AES). Sunil Shahi, Superintendent SKMCH, Muzaffarpur, says, “From Jan to June 2, 13 patients were admitted, of them 3 died. From June 2 to this day 86 people were admitted,of them 31 died". pic.twitter.com/eiGPweq0WN
— ANI (@ANI) June 12, 2019
दिमागी बुखार से पिछले 10 वर्षों में 350 से अधिक बच्चों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने लगातार सातवें दिन बच्चों की मौत होने पर सिविल सर्जन शैलेश प्रसाद सिंह से रिपोर्ट मांगी है और इलाज की बेहतर मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया जबकि तिरहुत के कमिश्नर नर्मदेश्वर लाल ने आपात बैठक बुलाकर बीमारी से बचाव को लेकर प्रचार-प्रसार नहीं किए जाने पर फटकार लगाई है।
24 घंटे में 20 बच्चों की मौत रविवार से सोमवार तक इस बीमारी की वजह से 20 बच्चों की मौत हो गई है। बीमारी के कहर को देखते हुए चार आईसीयू चालू किए गए हैं, फिर भी बच्चों के लिए बेड कम पड़ रहे हैं। अस्पतालों में अलर्ट जारी किया गया है। वहां जरूरी सुविधाओं के साथ डॉक्टरों की रोस्टर ड्यूटी तय कर दी गई है। मंत्रियों के लापरवाही भरे बयान हर वर्ष होने वाली इस बीमारी को रोकने में बिहार सरकार नाकाम रही है।