बीपीएससी पीटी परीक्षा पेपर लीकः BDO जयवर्धन गुप्ता और वीर कुंवर सिंह कॉलेज के प्राचार्य समेत 4 अरेस्ट, कई सबूत हाथ लगे, जांच जारी
By एस पी सिन्हा | Updated: May 10, 2022 18:54 IST2022-05-10T18:52:25+5:302022-05-10T18:54:11+5:30
BPSC PT Exam Paper Leak: ईओयू की टीम ने आज सुबह कार्रवाई करते हुए बीडीओ को बडहरा से जबकि प्राचार्य समेत 4 अन्य को आरा से गिरफ्तार किया गया है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है.
पटनाः बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी) पीटी परीक्षा का पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध ईकाई(ईओयू) की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए भोजपुर जिले के बडहरा प्रखंड के बीडीओ जयवर्धन गुप्ता और आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज के प्राचार्य समेत 4 लोगों को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है.
ईओयू की टीम ने आज सुबह कार्रवाई करते हुए बीडीओ को बडहरा से जबकि प्राचार्य समेत 4 अन्य को आरा से गिरफ्तार किया गया है. बताया जाता है कि वीर कुंवर सिंह कॉलेज स्थित परीक्षा केन्द्र पर जयवर्धन गुप्ता बतौर मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात थे. कहा जा रहा है कि बीडीओ के खिलाफ ईओयू की टीम को कई सबूत हाथ लगे हैं.
बता दें कि बीपीएससी पीटी परीक्षा का पेपर लीक मामले को लेकर पूरे बिहार में सियासत गर्मा गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. उन्होंने पुलिस को जांच में तेजी लाने के संकेत दिये हैं. बीपीएससी पर्चा लीक मामले में गिरफ्तार बीडीओ जयवर्धन गुप्ता का भ्रष्टाचार से पुराना नाता है. यहां तक कि निगरानी की टीम ने उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.
वर्ष 2018 में जयवर्धन गुप्ता पटना जिले के घोसवरी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी थे. उस समय उन पर एक व्यक्ति से रिश्वत लेने का आरोप लगा था. विकास योजनाओं की स्वीकृति देने और पैसे का भुगतान करने के एवज में जयवर्धन ने रिश्वत मांगी थी. पीड़ित ने इसकी शिकायत निगरानी से की थी.
शिकायत के आधार पर अगस्त 2018 में निगरानी की टीम ने पटना के मोकामा में छापेमारी की और जयवर्धन गुप्ता को एक लाख रुपए घूस लेते गिरफ्तार कर लिया. उनकी गिरफ्तारी के बाद कई अन्य लोगों ने भी कथित रूप से जयवर्धन पर कई गंभीर आरोप लगाए. हालांकि उन मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. अब एक बार फिर से जयवर्धन बुरे फंसे हैं.
इस बार भी उनका नाम बीपीएससी पर्चा लीक में आया है. गुप्ता के पुराने इतिहास को देखते हुए इस बार पर्चा लीक में उनकी संलिप्तता उजागर हुई है. उल्लेखनीय है कि बिहार में परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक होते रहे हैं. लेकिन बीपीएससी की 67वीं संयुक्त प्रतियोगिता प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक पहली बार हुआ है. हालांकि ऐसा भी नहीं कि बीपीएससी की साख पर सवाल पहली बार खड़ा हुआ है.
बीपीएससी के सदस्य पर घूस मांगने का आरोप लगा है. परीक्षा में फर्जीवाड़ा के सिलसिले में इसके अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हुई है. एक अध्यक्ष को पद से हटना पड़ा तो एक जेल भी गए. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि अपात्र व इंटरव्यू तक नहीं देने वाले अभ्यर्थियों को भी बीपीएससी ने व्याख्याता के पद के लिए चुना लिया था.
साल 2003 में बीपीएससी के 183 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा ली गई थी. आरोप लगा कि इसमें सीटों की नीलामी की गई थी. जबकि साल 2005 में बीपीएससी पर परीक्षा में घोटाला व गलत चयन के आरोप लगे थे. इस सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसमें बीपीएससी की पूर्व अध्यक्ष रजिया तबस्सुम सहित 13 अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.
वहीं आयोग के अध्यक्ष राम सिंघासन सिंह को पद से हटना पड़ा था. जांच के दौरान निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़, कम्प्यूटर से दस्तावेज मिटाने और पैसे लेने के भी साक्ष्य मिले थे. उसी तरह से 56वीं से 59वीं बीपीएससी परीक्षा में भी घोटाले के आरोप लगते रहे. इस परीक्षा में आयोग के एक सदस्य रामकिशोर सिंह पर 30 लाख रुपये घूस मांगने तथ बदले में डीएसपी बनाने का आडियो तक वायरल हो गया था. इस मामले में निगरानी ने मुकदमा दर्ज किया था.