मुंबईः नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का 19 विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार करने के फैसले के बीच महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर ने कहा कि यह बहिष्कार न केवल नागरिकों का अपमान है बल्कि संविधान का भी अपमान है। उधर, राजग ने भी विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की निंदा की है।
गौरतलब है कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), आम आदमी पार्टी (आप) सहित 19 विपक्षी दलों ने 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह के बहिष्कार करने की घोषणा की है। विपक्षी दलों ने इस बात पर जोर दिया कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए, प्रधानमंत्री द्वारा नहीं।
नारवेकर ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नया संसद भवन भारत में स्वतंत्रता, प्रगति और लोकतंत्र का प्रतीक है। उन्होंने कहा, "नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करना न केवल नागरिकों बल्कि संविधान का भी अपमान है।" बकौल नारवेकर, उन्हें उम्मीद है कि विपक्षी दल देश और संविधान के खातिर इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
उधर भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की निंदा की और उसके इस कदम को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान करार दिया। राजग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘हम, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दल, नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के 19 राजनीतिक दलों के अवमाननाकारी निर्णय की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं।’’
सरकार पर राष्ट्रपति मुर्मू को 'पूरी तरह दरकिनार' करने का आरोप लगाते हुए 19 दलों ने एक बयान में कहा है कि जब ‘‘लोकतंत्र की आत्मा को छीन लिया गया है’’ तो उन्हें नए भवन में कोई महत्व नजर नहीं आता। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल 14 दलों के नेताओं की ओर से जारी बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, शिवसेना नेता एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, एनपीपी नेता एवं मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा तथा नगालैंड के मुख्यमंत्री एवं एनडीपीपी नेता नेफ्यू रियो शामिल हैं।
भाषा इनपुट के साथ