Book review: प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर डॉ. नारायण चावड़ा
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: February 3, 2018 11:16 AM2018-02-03T11:16:27+5:302018-02-03T11:16:30+5:30
यह किताब छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिक नारायण चावड़ा के एक साधारण किसान से आसाधारण किसान बनने के सफ़र की प्रेरक दास्तान है।
हमारे यहां हर क्षेत्र के सफल व प्रेरक लोगों की जीवनी लिखी गई है, पर किसी किसान की जीवनी शायद ही मिले। आमतौर पर हिंदी साहित्य में भारतीय किसान के स्वाह-पक्ष को ही उजागर किया जाता रहा है। ऐसे में जमीन से जुड़े किसी कृषि-विज्ञानी की उपलब्धियों और जूनून से भरी जीवनी का आना सुखद ही कहा जाएगा। यह किताब छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिक नारायण चावड़ा के एक साधारण किसान से आसाधारण किसान बनने के सफ़र की प्रेरक दास्तान है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की उर्वरा भूमि पर अपने अनुसंधानों के जरिए कई शानदार उपलब्धियां हासिल की। हाल ही में प्रकाशित हुई उनकी जीवनी “प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर डॉ. नारायण चावड़ा” के लेखक राजीव रंजन प्रसाद ने बहुत ही सीधी-सरल भाषा में उनके जीवन के विभिन्न पड़ावों का वर्णन किया है। कई फल, सब्जियों की नयी प्रजातियां खोजने वाले और निरंतर खेती किसानी को सुविधाजनक बनाने में डॉ. चावड़ा की यह जीवनी निश्चित प्रेरणादायी है। यह पुस्तक एक सार है जिसे आने वाली पीढ़ी को पढना चाहिए इस पुस्तक में न केवल स्वप्न्द्रश्ता की ही बात नही है, जो तारो को देखकर चमत्कृत होता है, अपितु उसकी है जो तारे तोड़ कर ज़मीन पर लाने का भी एहसास रखता है। इस पुस्तक ने जोर दे कर कहा है की किसानो को शिक्षा का प्रसार और नई तकनीक तक पहुंचना आवश्यक है इस पुस्तक में व्यावहारिक कृषि शिक्षा पद्धति की आवश्यकता को दर्शाया गया है, ताकि पढ़ा लिखा किसान आत्मविश्वासपूर्वक खेती को अपना सके। इस पुस्तक में राजीव रंजन प्रसाद ने कृषि प्रोधोगिकी में इस्तेमाल होने वाली तकनीकी के प्रयोग को विस्तारपूर्वक बताया है इस पुस्तक से कृषि विद्यार्थियों को भारत के कृषि प्रधान देश होने के मायनो का पता चलता है और साथ ही पढ़े लिखे युवक कृषि की ओर आक्रष्ट होंगे।
पुस्तक का नाम: प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर डॉ. नारायण चावड़ा
प्रकाशक: यश पब्लिकेशंस, दिल्ली
लेखक: राजीव रंजन प्रसाद
मूल्य: 199 रूपए