लाइव न्यूज़ :

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-पिता की दूसरी शादी की वैधता को बेटी दे सकती है अदालत में चुनौती, जानें मामला

By भाषा | Updated: March 19, 2021 18:41 IST

न्यायमूर्ति आर डी धनुका और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाते हुए 66 वर्षीय उस महिला की याचिका स्वीकार कर ली।

Open in App
ठळक मुद्देवैवाहिक संबंध के सिर्फ पक्षकार ही शादी की वैधता को चुनौती दे सकते हैं।पिता की दूसरी शादी की वैधता को चुनौती देते हुए 2016 में परिवार अदालत में एक याचिका दायर की थी। सौतेली मां ने अपनी पिछली शादी से तलाक को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया है।

मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक बेटी अपने पिता की दूसरी शादी की वैधता को अदालत में चुनौती दे सकती है।

न्यायमूर्ति आर डी धनुका और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाते हुए 66 वर्षीय उस महिला की याचिका स्वीकार कर ली, जिन्होंने परिवार अदालत के एक आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल, परिवार अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि वैवाहिक संबंध के सिर्फ पक्षकार ही शादी की वैधता को चुनौती दे सकते हैं।

फैसले के मुताबिक, महिला ने अपने (दिवंगत) पिता की दूसरी शादी की वैधता को चुनौती देते हुए 2016 में परिवार अदालत में एक याचिका दायर की थी। महिला ने याचिका में कहा कि उसके पिता ने उसकी मां की 2003 में मृत्यु हो जाने के बाद दूसरी शादी कर ली थी, लेकिन उसके पिता की मृत्यु हो जाने पर 2016 में उसे पता चला कि उसकी सौतेली मां ने अपनी पिछली शादी से तलाक को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया है। महिला ने याचिका में कहा कि इसलिए उसके पिता की दूसरी शादी को वैध नहीं माना जा सकता है।

हालांकि, महिला की सौतेली मां ने परिवार अदालत में दलील दी कि याचिकाकर्ता का इस विषय में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वैवाहिक संबंध में सिर्फ दो पक्ष (पति और पत्नी) ही ऐसे होते हैं, जो इसकी वैधता को अदालत में चुनौती दे सकते हैं।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने पिता की मृत्यु के बाद उस महिला के तलाक के बारे में सच्चाई का पता लगाया और उसने यह पता चलने के शीघ्र बाद परिवार अदालत का रुख किया था। अदालत ने कहा कि चूंकि उसके पिता की मृत्यु हो गई है, इसलिए असंगत तथ्य को उसे ही सामने लाना था और इस तरह की शादी की वैधता को चुनौती देनी थी। पीठ ने कहा कि परिवार अदालत अपने फैसले में गलत थी। उच्च न्यायालय ने याचिका पर नये सिरे से फैसला करने के लिए उसे परिवार अदालत के पास वापस भेज दिया।

टॅग्स :कोर्टमुंबईहाई कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतफिर खुलेगी आईएएस संतोष वर्मा की फाइल, हाईकोर्ट ने पुलिस जांच को दी मंजूरी

भारतIndiGo Flight: कुवैत से हैदराबाद जा रहे विमान को मुंबई किया गया डायवर्ट, 'ह्यूमन बम' की धमकी के बाद एक्शन

कारोबारLPG Prices December 1: राहत की खबर, रसोई गैस की कीमतों में बड़ा बदलाव, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, पटना और चेन्नई में घटे दाम, चेक करें

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: 6 दिन में 2000 से अधिक फ्लाइट कैंसिल, दिल्ली एयरपोर्ट ने यात्रियों के लिए एडवाइज़री जारी की, एयरपोर्ट जाने से पहले लेटेस्ट स्टेटस चेक कर लें

भारतमेरे सम्मानित प्रदेश वासियों?, सीएम योगी लिखी चिट्ठी, क्या है इसमें खास?, पढ़िए

भारतनागपुर विधानमंडल शीतकालीन सत्रः 8000 से अधिक पुलिस कर्मी तैनात, पक्ष-विपक्ष में इन मुद्दों पर टकराव

भारतदिल्ली-एनसीआर में जहरीले स्मॉग की चादर, कई इलाकों में एयर क्वालिटी बहुत खराब, देखिए लिस्ट

भारतSIR Registered: एसआईआर पर राजनीतिक विवाद थमने के नहीं दिख रहे आसार