बोफोर्स: दिल्ली उच्च न्याायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर अर्जी

By भाषा | Updated: December 25, 2021 17:17 IST2021-12-25T17:17:03+5:302021-12-25T17:17:03+5:30

Bofors: Application for early hearing on appeal against the decision of Delhi High Court | बोफोर्स: दिल्ली उच्च न्याायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर अर्जी

बोफोर्स: दिल्ली उच्च न्याायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर अर्जी

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर राजनीतिक रूप से संवेदनशील 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स दलाली मामले में सभी आरोपों को खारिज करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर की गयी है।

उच्च न्यायालय ने अपने 2005 के फैसले में तीन हिंदुजा बंधुओं - एसपी हिंदुजा, जीपी हिंदुजा और पीपी हिंदुजा - और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

अधिवक्ता अजय अग्रवाल की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने दो नवंबर, 2018 को उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि जांच एजेंसी फैसले के खिलाफ अग्रवाल द्वारा दायर अपील में सभी आधार रख सकती है।

अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने 2005 में ही उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी और इस ‘घोटाले’ को सामने आए तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है।

अर्जी में कहा गया है, ‘‘न्याय के हित में यह समीचीन है कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई की जाए। उन्होंने कहा कि बोफोर्स मामले में आरोपियों को अभी तक दंडित नहीं किये जाने से रक्षा क्षेत्र में घोटालों की पुनरावृत्ति हुई है।’’

इसमें कहा गया है कि शीर्ष अदालत द्वारा नवंबर 2018 में आदेश सुनाया गया था, लेकिन तीन साल बीत जाने के बावजूद मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

शीर्ष अदालत ने अपने दो नवंबर, 2018 के आदेश में उच्च न्यायालय के 31 मई, 2005 के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 13 साल की देरी को माफ करने को लेकर सीबीआई का अनुरोध ठुकरा दिया था। उसने कहा था कि वह अपील दायर करने में विलंब को लेकर दिये गये कारण से आश्वस्त नहीं है।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘हम याचिकाकर्ता द्वारा वर्तमान विशेष अनुमति याचिका दायर करने में 4,522 दिनों की अत्यधिक देरी के लिए दिए गए आधार से सहमत नहीं हैं।’’

साल 2005 के फैसले से पहले, उच्च न्यायालय ने चार फरवरी, 2004 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मामले में दोषमुक्त कर दिया था और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 465 के तहत जालसाजी का आरोप तय करने का निर्देश दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Bofors: Application for early hearing on appeal against the decision of Delhi High Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे