कर्नाटक कांग्रेस में भूचालः क्या राहुल गांधी-सिद्धारमैया में सब ठीक चल रहा है?
By खबरीलाल जनार्दन | Published: June 9, 2018 04:58 PM2018-06-09T16:58:02+5:302018-06-09T16:58:02+5:30
गठबंधन की राजनीति की मुश्किलों में अपनी नयी सरकार के घिरने के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने मंत्रिमंडल विस्तार से नाखुश कांग्रेस विधायकों को आज समझाने-बुझाने की पहल की।
बेंगलुरु, 9 जूनः कर्नाटक में कांग्रेस के कई विधायक सड़क पर उतरकर अपनी ही पार्टी व गठबंधन वाली जनता दल सेक्यूलर सरकार का विरोध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और कई प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने इन विधायकों से मुलाकात की लेकिन फिलहाल वे पीछे हटने की मूड में नहीं जान पड़ते हैं। बीते कल इस विवाद में सीएम एचडी कुमारस्वामी कूदते हुए बोल कि मैं जो भी विधायकों की नाराजगी है वह कांग्रेस आलाकमान तक पहुंचा दूंगा।
लेकिन पूरे मामले पर प्रदेश कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया चुप्पी साधे हुए हैं। अगर कांग्रेस के भीतर कुछ ठीक नहीं है तो इसकी जानकारी कांग्रेस आलाकमान तक सिद्धारमैया को पहुंचाना चाहिए। लेकिन कर्नाटक में ऐसे हालात है कि कांग्रेस की भीतर लड़ाई को आलाकमान तक पहुंचाने का दिलाशा जेडीएस प्रदेश अध्यक्ष व सीएम एचडी कुमारस्वामी दे रहे हैं।
गठबंधन की राजनीति की मुश्किलों में अपनी नयी सरकार के घिरने के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने मंत्रिमंडल विस्तार से नाखुश कांग्रेस विधायकों को आज समझाने-बुझाने की पहल की लेकिन वे अपनी बात पर अड़े रहे। काफी हद तक इसकी वजह कांग्रेस विधायकों का असंतोष है जिनमें से कुछ पिछली सरकार में मंत्री थे।
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इनसे मिलने के बाद कुमारस्वामी ने कांग्रेस आलाकमान से तत्काल कदम उठाने एवं स्थिति का समाधान करने का आह्वान किया है। लेकिन इस पूरे परिदृश्य से सिद्धारमैया गायब हैं। असल में सिद्धारमैया को लेकर चुनाव के बाद दिग्गज नेताओं के ऐसे बयान आते रहे थे कि वे बेहद महत्वाकांक्षी इंसान हैं। वे खुद की सत्ता चाहते हैं। कांग्रेस ने प्रदेश में 77 सीटें जीती थीं जबकि जेडीएस के पास महज 37 सीट।
ऐसे किसी गठबंधन में सीएम बड़ी पार्टी से होने का चलन रहा है। लेकिन कर्नाटक में बीजेपी को रोकने के लिए सीधे आलाकमान ने दखल थी। अंदरखाने यह चर्चा थी कि कांग्रेस का एक धड़ा कुमारस्वामी का नेतृत्व स्वीकार करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था। ऐसे में वर्तमान में व्याप्त असंतोष को शांत कराने के लिए सिद्धारमैया कोई खास प्रयास करते नजर नहीं आते। बल्कि विधायकों की बात कुमारस्वामी आलाकमान तक पहुंचाते हैं।
कुमारस्वामी ने 23 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 25 मई को विधानसभा में उन्होंने बहुमत साबित किया था। सत्तारुढ़ गठबंधन में गतिरोध पर केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने जदएस -कांग्रेस गठबंधन सरकार को ‘दिशाहीन एवं अस्थायी’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘जनता ने चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक सीटें दीं लेकिन जदएस और कांग्रेस पिछले दरवाजे से सत्ता पर काबिज हो गयी। यह बस अस्थायी सरकार है। कार्यकर्ता इन दोनों दलों के गठबंधन से खुश नहीं है जो चुनाव से पहले एक दूसरे के सामने खड़े थे। अतएव गठबंधन का जीवन थोड़े समय का है।’’
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गठबंधन को व्यवस्थित रखने का प्रयास करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रमुख कांग्रेस नेता एम बी पाटिल से भेंट की जो बागी विधायकों के नेता के रुप में उभरे हैं। इस मुलाकात के बाद कुमारस्वामी ने संवाददाताओं से कहा कि वैसे तो यह मुद्दा सीधे उनसे जुड़ा नहीं है लेकिन वह सरकार के स्थायित्व के लिए कांग्रेस-जदएस गठबंधन के नेता के तौर विधायकों को समझाने -बुझाने गये थे।
उन्होंने कहा,‘‘यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका संबंध मुझसे नहीं है क्योंकि ये कांग्रेस पार्टी के अंदर किये गये निर्णय हैं........ मैंने उनका (पाटिल का) यह दर्द समझा है कि जरुरत के समय उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया लेकिन अब वह निराश महसूस करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनकी भावनाएं समझीं, मैं दिल्ली के (कांग्रेस नेताओं) से समाधान ढूढने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूं।’’
कुमारस्वामी के इस दौरे से पहले उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर, मंत्री डीके शिवकुमार, केजे जार्ज और आर वी देशपांड ने पाटिल को समझाने बुझाने के लिए उनसे उनके निवास पर मुलाकात की थी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पाटिल घटनाक्रम पर आलाकमान से चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी जायेंगे।
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एमटीबी नागराज, सतीश जारकिहोली, सुधाकर और रोशन बेग समेत असंतुष्ट नेताओं के एक समूह ने कल पाटिल के निवास पर बैठक की थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार पिछले तीन दिनों ऐसी कई बैठकें हो चुकी हैं जिसमें पूर्व मंत्री एच के पाटिल भी शामिल हुए।
इस बीच कांग्रेस सचिव जारकिहोली ने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस सचिव पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहा हूं क्योंकि इस पद के बावजूद मैं मंत्री नहीं बन पाया और न ही अन्य के लिए मंत्रिमंडल जगह सुनिश्चित कर पाया।’’ उन्होंने कहा कि वह और अन्य कांग्रेस विधायक मंत्रिमंडल विस्तार से नाखुश हैं और 11 जून को बैठक करेंगे। एम बी पाटिल ने कुमारस्वामी के उनके यहां आने को ‘शिष्टाचार भेंट’ करार दिया और कहा कि यह कांग्रेस का अंदरुनी मामला है एवं कुमारस्वामी का उससे कोई लेना-देना नहीं है।
ऐसे में कर्नाटक कांग्रेस में सबकुछ ठीक ना चलने की सुगबुगाहट है। इसमें खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया दो सिरे पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। राहुल गांधी किसी कीमत पर बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के कोई भी कीमत चुकाने को तैयार नजर आ रहे हैं तो सिद्धारमैया इसके पक्ष में खड़े नहीं दिखाई देते।
(भाषा के इनपुट से)