भाजपा कार्यकर्ता भी कांग्रेस में शामिल, चाणक्य अमित शाह का बिगड़ा समीकरण
By प्रदीप द्विवेदी | Published: May 1, 2019 05:35 AM2019-05-01T05:35:31+5:302019-05-01T05:35:31+5:30
गहलोत राजस्थान में चुनावी महाभारत शुरू होने से लेकर अब तक न केवल अनेक बड़े नेताओं को, जो कभी बीजेपी के प्रमुख नेता भी रहे हैं, कांग्रेस के साथ लाने में कामयाब रहे हैं, बल्कि बदलाव का यह सिलसिला अब भी जारी है.
राजनीतिक जोड़-तोड़ में बीजेपी के चाणक्य अमित शाह अब तक सब पर भारी पड़ते रहे हैं, लेकिन राजस्थान में उन्हें कांग्रेस के चाणक्य सीएम अशोक गहलोत ने सियासी जोड़-तोड़ में पछाड़ दिया है?
गहलोत राजस्थान में चुनावी महाभारत शुरू होने से लेकर अब तक न केवल अनेक बड़े नेताओं को, जो कभी बीजेपी के प्रमुख नेता भी रहे हैं, कांग्रेस के साथ लाने में कामयाब रहे हैं, बल्कि बदलाव का यह सिलसिला अब भी जारी है.
इसी क्रम में राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले अस्तित्व में आई भारत वाहिनी पार्टी के अनेक कार्यकर्ता भी अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. भावापा के संस्थापक रहे घनश्याम तिवाड़ी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. जयपुर जिले सहित शेखावाटी क्षेत्र में तिवाड़ी समर्थकों का विशेष प्रभाव है, लिहाजा राजस्थान में दूसरे चरण के चुनाव से पहले इनका पार्टी से जुड़ना कांग्रेस के लिए लाभदायक हो सकता है.
इसके लिए राजधानी जयपुर के श्याम नगर में भारती वाहिनी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए सदस्यता ग्रहण समारोह का आयोजन भी किया गया था. इस समारोह में घनश्याम तिवाड़ी सहित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, जयपुर लोस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ज्योति खंडेलवाल, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास आदि कांग्रेस के कई प्रमुख नेता मौजूद थे.
इस मौके पर तिवाड़ी ने कहा कि उन्होंने पिछले पांच साल के संघर्ष के दौरान साथ रहने वाले सभी कार्यकर्ताओं को कहा था कि वे जिस पार्टी में जाना चाहें, जा सकते हैं, लेकिन इन्होंने भी कांग्रेस की ही सदस्यता ग्रहण की है. तिवाड़ी ने कहा कि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में संघ के कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
याद रहे, पिछले महीने ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में भारत वाहिनी पार्टी के प्रमुख घनश्याम तिवाड़ी कांग्रेस में शामिल हुए थे. उनके साथ ही भाजपा नेता रह चुके- पूर्व केबिनेट मंत्री सुरेंद्र गोयल और पूर्व केबिनेट मंत्री जनार्दन गहलोत भी कांग्रेस में शामिल हुए थे. यही नहीं, राजस्थान के 12 निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी.
बहरहाल, इस तरह के सियासी बदलाव का लोस चुनाव के नतीजों पर भी असर नजर आएगा, क्योंकि पिछले लोस चुनाव में राजस्थान में बीजेपी ने 25 में से 25 सीटें जीत लीं थी, लेकिन अब उसके लिए 2014 दोहराना बेहद मुश्किल होता जा रहा है!