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 बड़े चेहरों को जिम्मेदारी देगी भाजपा, लोकसभा चुनाव की तर्ज पर नगरीय निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी

By राजेंद्र पाराशर | Updated: June 8, 2019 20:34 IST

भाजपा की नजरें अब राज्य में होने वाले नगरीय निकाय पर टिक गई हैं. भाजपा ने फैसला किया है कि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर इन चुनावों में बड़े चेहरों को जिम्मेदारी दी जाए, जिसका फायदा चुनाव में मिल सके.

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मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित भाजपा अब नगरीय निकाय के चुनाव को गंभीरता से ले रही है. भाजपा ने इस चुनाव को भी लोकसभा चुनाव की तर्ज पर लड़ते हुए बड़े चेहरों को जिम्मेदारी देने का फैसला लिया है. पार्टी द्वारा यह फैसला निराश कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के लिए लिया गया है.

राज्य में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सक्रिय हैं, मगर भाजपा की सक्रियता कुछ ज्यादा नजर आती है. भाजपा ने न चुनावों के लिए जमावट शुरु कर दी है. भाजपा इन चुनावों में किसी भी तरह से अपना पिछली जीत के तरह जीत दर्ज कराना चाहती है.

लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद भाजपा का मनोबल भी बढ़ा है. इसके चलते पार्टी ने तय किया है कि यह चुनाव भी भाजपा लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ही लड़ेगी. इस चुनाव में भी पार्टी द्वारा बड़े चेहरों याने संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों विशेषकर सक्रिय और कार्यकर्ताओं के बीच पैठ रखने वालों को जिम्मेदारी दी जाए.

दरअसल भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जिलों के नेताओं को प्रभारी बनाया था, जिसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा था. कार्यकर्ताओं की स्थानीय स्तर पर नाराजगी के चलते उन्होंने उत्साह से काम नहीं किया. वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रणनीति बदली और जिलों से बाहर के नेताओं और पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी, जिसके चलते उसे अच्छी सफलता भी हासिल हुई.

इस कारण भाजपा अब लोकसभा चुनाव की रणनीति पर ही नगरीय निकाय के चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि भाजपा ने यह तय किया है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा को इस रणनीति पर सफलता हासिल हुई, ठीक उसी तरह सफलता नगरीय निकाय चुनाव में भी उसे मिलेगी.

स्थिति नहीं है अनुकूल

लोकसभा चुनाव में मिली सफलता से भाजपा में उत्साह जरुर है, मगर प्रदेश में भाजपा के अनुकूल स्थिति कम नजर आ रही है. अक्सर छोटे चुनाव में स्थानीय स्तर के मुद्दे काम करते हैं. इस लिहाज से भाजपा के लिए संकट यह है कि केन्द्र की मोदी सरकार के नाम पर वह छोटे चुनाव में मतदाता के बीच नहीं जा सकेगी. इसके लिए मुद्दा उसे स्थानीय तलाशना पड़ेगा. भाजपा इन चुनावों को देखते हुए राज्य में बिजली कटौती का मुद्दा नगरीय निकाय चुनाव तक किसी भी तरह जीवंत रखना चाहती है, ताकि ग्रामीण अंचल में किसान परेशान हो और इसका फायदा उसे मिले.

टॅग्स :मध्य प्रदेशभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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