बेंगलुरू, 19 मार्च। बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) ने कर्नाटक सरकार के उस फैसले को हिंदू समाज को बांटने का प्रयास बताया है, जिसमें लिंगायत और वीरशैव लिंगायत हिंदू पंथों को अलग धर्म के रूप में मान्यता प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। इस मामले में बीजेपी की लोकसभा सांसद शोभा करंदलाजे ने कहा कि, कर्नाटक के लोग हिंदू समाज को बांटने के इरादे के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कभी माफ नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि, सिद्धारमैया सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, वोट बैंक की राजनीति के लिए आप एक गंदा खेल खेल रहे हैं। आपने कर्नाटक के नेताओं और स्वामीजी लोगों को बांटकर पूरे समुदाय के साथ छल किया है। सत्ताधारी कांग्रेस एक अलग धर्म का दर्जा देकर लिंगायतों और वीरशैव लिंगायतों से हिंदू धर्म को न मानने के लिए कह रही है। ये दोनों पंथ 12वीं सदी के समाज सुधारक बासवा की विचारधारा को मानते हैं।
इससे पहले राज्य के कानून मंत्री टी.बी. जयचंद्र ने मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है।
लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय की इस दक्षिणी राज्य की आबादी में करीब 18 फीसदी की हिस्सेदारी है, और उनके वोट आगामी विधानसभा चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। कर्नाटक में अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है। बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बी.एस. येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के हैं, जिनका इस समुदाय में काफी प्रभाव माना जाता है।
जबकि कांग्रेस इस समुदाय को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती है। बैठक से पूर्व राज्य भर से आए लिंगायत संतों के एक समूह ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और धर्म का दर्जा देने का उनसे आग्रह किया था। सरकार के निर्णय के बाद संतों ने संवाददाताओं से कहा, "आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के लिए हम मंत्रिमंडल के अत्यंत आभारी हैं।"