नई दिल्ली। शिवसेना की ओर से एनडीए से बाहर जाने का लिया गया फैसला भाजपा के लिए अप्रत्याशित था। उसे उम्मीद नहीं थी उसके साथ तीस साल तक रहने वाली शिवसेना इतना बड़ा कदम उठा सकती है। भाजपा को यह आशा थी कि अंत में शिवसेना के साथ गठजोड़ हो जाएगा। इसके लिए वह कुछ बड़े मंत्रालय भी उसे देने के लिए तैयार थी।
वह यह मानकर चल रही थी कि वित्त, गृह और लोक निर्माण विभाग जैसे मंत्रालय के साथ शिवसेना को अपने पाले में रखने में सफल हो जाएगी। खासकर जब राकांपा और कांग्रेस के साथ उसका वैचारिक मतभेद है।
लेकिन अचानक शिवसेना के एनडीए से अलग होने के फैसले को भाजपा समझ नहीं पाई। माना जा रहा है कि शिवसेना के इस कदम के बाद भाजपा अपने सहयोगियों के साथ अपने संबंधों पर पुन: विचार करेगी और उसके अनुरूप अपनी रणनीति बनाएगी।
शिवसेना के झटके से अपनी गठबंधन रणनीति पर मंथन करेगी बीजेपी
सूत्रों के मुताबिक भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी इस कदम को एक संकेत मान रहे हैं। उनका आकलन है कि भाजपा को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना चाहिए। उसके लिहाज से ही गठबंधन धर्म को लेकर आगे के कदम तय करने चाहिए। क्या भाजपा इसे अपने लिए एक झटका मान रही है। यही नहीं, क्या इस घटना के बाद भाजपा एनडीए में अपनी भूमिका को बड़े भाई से अलग रूप में देखने को लेकर भी समीक्षा करेगी।
इसके जवाब में एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि किसी भी गठबंधन में कोई भी बड़े भाई की भूमिका में नहीं हो सकता है। इसकी वजह यह है कि सभी के पास एक संख्या है। संसद, विधानसभा में उनकी अपनी उपयोगिता है। लेकिन, यह बात भी सच है कि जिस दल के पास अधिक संख्या है, उसके पास अधिक प्रभावी मंत्रालय होते हैं। ऐसे में यह कहा जाता है कि वह बड़े भाई की भूमिका में है। जहां तक शिवसेना की बात है तो हम इस मामले की समीक्षा जरूर करेंगे। यह हमारे लिए भी एक बड़ी घटना है। हम भी यह जानना चाहते हैं कि बात बढ़ने का असली बिंदु क्या है?
लेकिन यह कहना कि भाजपा की ही गलती है तो यह पूरी तरह से गलत है। हम यह भी कहना चाहते हैं कि अगर शिवसेना की सरकार राकांपा और कांग्रेस के साथ बनती है तो यह बहुत अधिक दिन तक नहीं चलेगी। इसकी वजह यह है कि शिवसेना की विचारधारा इन दोनों पार्टियों से बिल्कुल अलग है। हम आगे की रणनीति इसी बिंदु को ध्यान में रखकर बना रहे हैं।