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भाजपा नेता सोलंकी ने पेगासस मामले में जांच का समर्थन किया

By भाषा | Updated: August 2, 2021 22:04 IST

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(दिलीप मोटवानी)

भोपाल, दो अगस्त पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ भाजपा नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने पेगासस जासूसी मामले में जांच का समर्थन करते हुए सोमवार को कहा कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को आपसी बातचीत से कोई रास्ता निकालना चाहिए।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पेगासस मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में चला गया है, इसलिए इस मामले को अब शीर्ष अदालत के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि मामला अब अदालत में विचाराधीन है।

मामला इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग कर कई प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी से जुड़ा है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में अपने ऊपर लगाए जा रहे विपक्ष के आरोपों से इनकार किया है।

हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके सोलंकी ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ लोकतंत्र आपसी विश्वास पर टिका है और दूसरा इसकी निजता की सुरक्षा होनी चाहिए। पेगासस का मुद्दा विदेशी एजेंसियों ने उठाया है। इसमें दोनों पक्षों के सांसदों, पत्रकारों सहित कई लोगों के नाम हैं। इससे एक प्रकार का अविश्वास पैदा हो गया है। इसमें सच क्या है, इसकी जांच होनी चाहिए। जिन दो एजेंसियों ने यह समाचार छापा है, उनसे इसका स्रोत पूछा जाना चाहिए, ताकि यदि कुछ है तो सामने आएगा और अगर वह झूठ है तो उसका पर्दाफाश होगा और फिर मामला खत्म हो जाएगा।’’

इस सवाल पर कि विपक्ष की मांग के मुताबिक क्या इस मामले की जांच किसी संयुक्त संसदीय समिति से कराई जानी चाहिए, सोलंकी ने कहा, ‘‘ देखिये ये सत्ता पक्ष का विषय है कि वह इसपर क्या निर्णय लेता है क्योंकि इसकी जो बारीकियां हैं, सत्ता पक्ष ज्यादा जानता है। लेकिन मैं इतना जानता हूं कि इसपर जो अविश्वास खड़ा हुआ है, इसे दूर करने के लिए सबको मिलकर कोई रास्ता निकालना चाहिए तथा परिणाम यह होना चाहिए कि संसद में विधेयक चर्चा व बहस से पारित हों।’’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई विपक्षी सांसदों ने एक सप्ताह पहले पेगासस जासूसी मुद्दे पर संसद परिसर में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और उन्होंने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।

यह पूछे जाने पर कि संसद में गतिरोध के लिए सत्तारूढ़ दल या विपक्ष में से वह किसे जिम्मेदार मानते हैं, सोलंकी ने कहा, ‘‘सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी (सदन के व्यवस्थित संचालन के लिए) है। दोनों को इस बात के लिए सहमत होना चाहिए कि विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा होनी चाहिए। उन्हें इस मामले (पेगासस) पर बात करनी चाहिए, ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके।’’

भाजपा में आने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में लंबे समय तक काम कर चुके सोलंकी ने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि संसद को चलने दिया जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि सदन व्यवस्थित रूप से चले और सभी विधेयक चर्चा के बाद पारित होने चाहिए। उन्हें इसका कोई रास्ता निकालना चाहिए, अन्यथा यह लोकतंत्र में बीमारी का कारण बनेगा।’’

हालांकि सोलंकी ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष सदन में गतिरोध जारी रखता है तो सरकार के पास भी बिना चर्चा के विधेयक पारित कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है क्योंकि सरकार को काम करना है, लेकिन यह स्थिति लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

उनके विभिन्न ट्वीट को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा उन्हें भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ पेश किए जाने से संबंधित बात को 82 वर्षीय सोलंकी ने खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि भाजपा ने उन्हें बहुत कुछ दिया है।

उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘ मेरे ट्वीट सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी सांसदों, दोनों के लिए हैं। उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधि के तौर पर अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और संसद में गतिरोध दूर कर बहस में भाग लेना चाहिए, ताकि विधेयकों के पारित होने से पहले उनके अहम सुझावों को विधेयकों में शामिल किया जा सके।’’

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के मुद्दे पर सोलंकी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा इसपर संज्ञान लिए जाने और इसमें कमियों की जांच के लिए एक समिति गठित किए जाने के बाद किसानों सहित सभी पक्षों को अब शीर्ष अदालत के निर्णय का इंतजार कर उसे मंजूर करना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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