'जानबूझकर भाजपा ने कराई बहराइच हिंसा', सपा प्रमुख अखिलेश यादव का दावा
By रुस्तम राणा | Updated: October 21, 2024 15:00 IST2024-10-21T14:51:02+5:302024-10-21T15:00:12+5:30
बहराइच की घटना पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, "...बहराइच में जो कुछ भी हुआ वह राज्य में आगामी चुनावों के मद्देनजर भाजपा द्वारा योजनाबद्ध था..."

'जानबूझकर भाजपा ने कराई बहराइच हिंसा', सपा प्रमुख अखिलेश यादव का दावा
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि बहराइच में हुई हिंसा की साजिश सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रची थी। उन्होंने मैनपुरी में एएनआई से कहा, "बहराइच में जो कुछ भी हुआ, वह राज्य में आगामी चुनावों के मद्देनजर भाजपा द्वारा योजनाबद्ध था।"
धार्मिक जुलूस के दौरान गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने दुकानों, वाहनों और एक अस्पताल में आग लगा दी। रेहुआ मंसूर गांव के निवासी 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की 13 अक्टूबर को सांप्रदायिक झड़प के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई।
महाराजगंज में एक पूजा स्थल के बाहर तेज आवाज में संगीत बजाने को लेकर हुए विवाद के कारण सांप्रदायिक संघर्ष शुरू हुआ। घटना सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई, जिसके कारण इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ हुई और चार दिनों तक इंटरनेट बंद रहा।
#WATCH | Mainpuri, Uttar Pradesh: On the Bahraich incident, Samajwadi Party President Akhilesh Yadav says, "... Whatever happened in Bahraich was planned by the BJP in view of the upcoming elections in the state..." pic.twitter.com/0uIFaaxc22
— ANI (@ANI) October 21, 2024
मिश्रा की हत्या और उसके बाद हुई हिंसा के संबंध में 13 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक जिले में कम से कम 11 प्राथमिकियां दर्ज की गईं। लगभग 1,000 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किये गये, जिनमें छह नामजद व्यक्ति भी शामिल हैं। मिश्रा की हत्या के आरोपी दो लोगों को पिछले सप्ताह पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान पैर में गोली मार दी थी। वे नेपाल भागने की कोशिश कर रहे थे।
सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर एक स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) और एक पुलिस चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया, जबकि सर्किल ऑफिसर रूपेंद्र गौर, तहसीलदार रविकांत द्विवेदी और जिला सूचना अधिकारी गुलाम वारिस सिद्दीकी को उनके पदों से हटा दिया गया। इस बीच, उत्तर प्रदेश प्रशासन ने आसपास के कई लोगों को मकान ढहाने का नोटिस थमा दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन लोगों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय दिया है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 23 अक्टूबर तय की है।