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भाजपा ने मराठा आरक्षण पर शीर्ष अदालत के फैसले के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया

By भाषा | Updated: May 5, 2021 18:27 IST

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पुणे, पांच मई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार पर नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को अपनी बात नहीं समझा पाने का आरोप लगाया।

उच्चतम न्यायालय ने शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून को बुधवार को ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए खारिज कर दिया । उसने कहा कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।

उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने दावा किया कि उच्चतम न्यायालय में अपनी बातें रखने के दौरान राज्य सरकार के अंदर ‘तालमेल का अभाव’ था।

उन्होंने नागपुर में संवाददाताओं से कहा , ‘‘ दो-तीन बार सरकार के वकीलों को अदालत के सामने कहना पड़ा कि उन्हें कुछ निश्चित जानकारी एवं निर्देश नहीं मिले हैं जिसके चलते मामले की सुनवाई स्थगित की गयी।’’

महाराष्ट्र में नौकरियों एवं दाखिले में मराठाओं को आरक्षण देने के लिए फड़णवीस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार द्वारा सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ा समुदाय (एसईबीसी) अधिनियम 2018 पारित किया था।

फड़णवीस ने यह भी कहा कि वर्तमान राज्य सरकार अदालत को यह समझा नहीं पायी कि मराठा आरक्षण का आधार एम सी गायकवाड़ आयोग की रिपोर्ट ‘‘ एकतरफा नहीं है और यह कि उसमें सभी पक्षों के विचार शामिल हैं।’’

उन्होंने कहा कि गायकवाड़ रिपोर्ट में बताया गया है कि क्यों 50 फीसद के ऊपर आरक्षण दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कई अन्य राज्य आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा के पार गये हैं। उन्होंने राजय सरकार से उच्चतम न्यायालय के फैसले के अध्ययन एवं मराठाओं को आरक्षण देने का तरीका ढूंढने के लिए वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञों की एक समिति बनाने की अपील की।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मांग की कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये।

पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह राज्य सरकार की पूरी तरह से विफलता है। वह उच्चतम न्यायालय को समझा नहीं पायी कि असाधारण परिस्थितियों, जो मराठा समुदाय के संदर्भ में राज्य में पैदा हुई, में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को क्यों तोड़ना महत्वपूर्ण है ।’’

उन्होंने कहा कि देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व वाली राज्य की पिछली राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग बनाया था जिसने मराठा समुदाय को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक मोर्चे पर पिछड़े मानने की सिफारिश की थी।

उन्होंने कहा कि तब फड़णवीस सरकार ने मराठाओं के लिए नौकरियों एवं दाखिले में आरक्षण के लिए (2018 में) कानून बनाया जिसे बाद में बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ फड़णवीस सरकार ने उच्च न्यायालय को सफलतापूर्वक समझाया कि मराठा राज्य की जनसंख्या में 32 प्रतिशत हैं और यह कैसे राज्य में असामान्य स्थिति है। ’’

पाटिल ने दावा किया शिवसेना, रांकांपा और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने ‘‘मराठा समुदाय को पूरी तरह निराश किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मराठा समुदाय के युवकों को इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठानी चाहिए एवं राज्य सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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