नई दिल्ली, 21 मार्च। देश और दुनिया को अपनी शहनाईयों के सुर से मंत्रमुग्ध कर देने वाले मशहूर शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां का आज जन्मदिन है। बनारस के इस लाल ने दुनिया में शहनाई को एक अलग पहचान दिलाई। 21 मार्च को शहनाई के जादूगर के जादूगह के जन्मदिन के मौके पर गूगल ने भी अपना डूडल बदला है। गूगल के डूडल में सफेद रंग की पौशाक पहने बिस्मिल्ला खां को आप शहनाई बजाते हुए देख सकते हैं।
शुरूआती जीवन और परिवार21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव जिले में जन्में बिस्मिल्ला खां के बचपन का नाम कमरूद्दीन था। उनके पिता पैगम्बर खां और मां मिट्ठन बाई उनकी इस प्रतिभा शुरूआत में पहचान न सकें। वह अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे।
पहली बार उनके दादा रसूल बख्श ने बिस्मिल्ला कहा और तब से उनका नाम बिस्मिल्ला खां हो गया। उनके खानदान में लोग संगीत में माहिर थे और वे बिहार स्थित भोजपुर रियासत में अपनी कला का प्रदर्शन किया करते थे।
चाचा अली बख्श विलायती से सीखी शहनाईबिस्मिल्ला खां के पिता भी अच्छे शहनाई वादक थे। वह डुमराव रियासत के राजा के यहां शहनाई बजाया करते थे। बिस्मिल्ला खां ने शहनाई बजाना अपने चाचा अली बख्श विलायती से सीखा था। बनारस में उस्ताद महज छह साल की उम्र में यहां पहुंचे थे और फिर यहीं के होकर रह गए।
शुरूआती दिनों में लोकगीतों से किया रियाजबिस्मिल्ला खां ने शहनाई सीखने के अपने शुरूआती दिनों में पारम्परिक लोकगीतों जैसी कजरी, चैता और झूला की धुनों पर रियाज कर अपने आपको तराशा और भारत के बड़े-बड़े संगीतकारों के साथ उन्होंने जुगलबंदी की।
सरस्वती के उपासक थेखां सितार वादक विलायत खां और वायलिन के सरताज वी.जी. जोग जैसे दिग्गजों के साथ भी मंच साझा कर चुके थे। जात-पात और धर्म से ऊपर बिस्मिल्ला सरस्वती के उपासक थे और उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और शान्ति निकेतन ने डाक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।
आजादी के दिन लाल किले पर शहनाईपद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण के साथ संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से नवाजे जा चुके बिस्मिल्ला को 15 अगस्त 1947 में भारत की आजादी के दिन लाल किले पर शहनाई बजाने का अवसर मिला। आजाद भारत की पहली शाम को लाल किले पर जब शहनाई बजी तो आजाद भारत उस्ताद की शहनाई की धुन से झूम उठा।
तानसेन पुरस्कार से सम्मानितमध्य प्रदेश सरकार उन्हें तानसेन पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। इसके अलावा साल 2001 में उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
कार्डियक अरेस्ट से निधनकार्डियक अरेस्ट के चलते बिस्मिल्ला खां का निधन बनारस में 21 अगस्त 2006 को हुआ था। खां की पांच बेटियां और तीन बेटे थे। इसके अलावा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की प्रमुख गायिका सोमा घोष को उन्होंने अपनी पुत्री स्वीकार किया था। भारत सरकार ने उनकी मृत्यु के दिन राष्ट्रीय शोक घोषित किया था।