झारखंड में ‘भीड़ हिंसा’ के खिलाफ विधेयक पारित, दोषी को उम्रकैद की सजा का भी प्रावधान

By भाषा | Updated: December 21, 2021 18:50 IST2021-12-21T18:50:48+5:302021-12-21T18:50:48+5:30

Bill passed against 'mob violence' in Jharkhand, provision of life imprisonment to the guilty | झारखंड में ‘भीड़ हिंसा’ के खिलाफ विधेयक पारित, दोषी को उम्रकैद की सजा का भी प्रावधान

झारखंड में ‘भीड़ हिंसा’ के खिलाफ विधेयक पारित, दोषी को उम्रकैद की सजा का भी प्रावधान

रांची, 21 दिसंबर झारखंड विधानसभा ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने के मामलों से सख्ती से निपटने के लिए मंगलवार को ‘भीड़ हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधेयक 2021’ को ध्वनिमत से पारित कर दिया। ये विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद कानून बन जायेगा, जिसके तहत इस तरह की हिंसा में शामिल और इसके षड्यंत्रकर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा होगी।

इस विधेयक के कानून बनने पर भीड़ हिंसा के दोषी पाए जाने वालों के लिए जुर्माने और संपत्तियों की कुर्की के अलावा तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा यह कानून “शत्रुतापूर्ण वातावरण” बनाने वालों के लिए भी तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान करता है।

शत्रुतापूर्ण वातावरण की परिभाषा में पीड़ित, पीड़ित के परिवार के सदस्यों, गवाह या गवाह/पीड़ित को सहायता प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ धमकी या जबरदस्ती करना शामिल है। इतना ही नहीं नये कानून में पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा देने की भी व्यवस्था की गयी है।

सदन में आज पेश किए गए इस विधेयक के पक्ष में सरकार ने कहा कि भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया है। इस कानून के तहत गैर जिम्मेदार तरीके से किसी सूचना को साझा करना, पीड़ितों और गवाहों के लिए शत्रुतापूर्ण माहौल बनाने पर भी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। साथ ही पीड़ितों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था का भी प्रावधान है।

संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को “प्रभावी सुरक्षा” प्रदान करना है। इसके अलावा संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और भीड़ की हिंसा की रोकथाम भी इसका प्रमुख उद्देश्य है। विधेयक पर बहस के दौरान मुख्य विपक्षी भाजपा ने अनेक संशोधन पेश किये जिन्हें सरकार ने ध्वनिमत से दरकिनार कर दिया।

भाजपा के नेता व पूर्व विधानसभाध्यक्ष सी पी सिंह ने राज्य सरकार पर हड़बड़ी में अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए यह विधेयक लाने का आरोप लगाया।

इससे पहले पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भीड़ हिंसा के खिलाफ कानून बनाये जा चुके हैं।

झारखंड में वैसे तो भीड़ हिंसा के अनेक मामले सामने आते रहे हैं लेकिन राज्य में 'मॉब लिंचिंग' 2019 में तब खासी चर्चा में आयी जब 24 वर्षीय तबरेज अंसारी को बकरी चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले में भीड़ ने रस्सी से बांधकर इतना पीटा कि बाद में उसकी मौत हो गयी।

झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भीड़ की हिंसा की घटनाओं की निंदा की थी और इसके खिलाफ कानून लाने का वादा किया था। इस वर्ष के प्रारंभ में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली सरकार ने उच्च न्यायालय से फटकार के बाद ऐसे मामलों से निपटने के लिए जिला स्तरीय समितियों के गठन का फैसला किया था।

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Web Title: Bill passed against 'mob violence' in Jharkhand, provision of life imprisonment to the guilty

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