बिहार के तीन न्यायिक अधिकारी सेवा से बर्खास्त, नेपाल के होटल में महिलाओं के साथ पकड़े गये थे
By एस पी सिन्हा | Updated: December 23, 2020 12:46 IST2020-12-22T22:11:24+5:302020-12-23T12:46:13+5:30
नेपाल के एक होटल में कुछ साल पहले महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े गए बिहार के तीन न्यायिक अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.बर्खास्त किए गए न्यायिक सेवा के अधिकारियों में हरि निवास गुप्ता, जितेंद्र नाथ सिंह और कोमल राम शामिल हैं.

उच्चतम न्यायालय में उनकी अपील पिछले साल ठुकरा दी गई थी. (file photo)
पटनाः बिहार के तीन न्यायिक अधिकारी नेपाल के एक होटल में महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े गए थे. मामले की जांच के में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है.
वे सभी सेवांत लाभ से वंचित रहेंगे. उनकी बर्खास्तगी 12 फरवरी 2014 से प्रभावी होगी. उनकी बर्खास्तगी पर राज्य सरकार ने मुहर लगा दी है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. बर्खास्त किए गए तीनों न्यायिक अधिकारी समस्त सेवांत बकाए और अन्य लाभों से वंचित रहेंगे.
बिहार सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक समस्तीपुर परिवार न्यायालय के तत्कालीन न्यायिक अधिकारी हरिनिवास गुप्ता, जितेंद्र नाथ सिंह और अररिया के कोमल राम है. फरवरी 2014 में बर्खास्तगी के खिलाफ तीनों न्यायिक पदाधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मुख्य न्यायाधीश के निर्णय के तहत इस प्रकरण में 22 मई, 2015 को पांच न्यायाधीशों की एक कमेटी गठित की गयी थी. तीन महीने बाद इस कमेटी ने अपना प्रतिवेदन दिया. इसके बाद पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक ने सितंबर, 2020 में इनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा को बरकरार रखा.
उल्लेखनीय है कि जिन तीन न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त किया गया, उन्हें पुलिस छापेमारी में नेपाल के एक होटल में महिलाओं के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा गया था. घटना 26 जनवरी, 2013 की है. न्यायिक अधिकारी होने के कारण नेपाली पुलिस ने तीनों को छोड़ दिया था. ये सभी विराटनगर स्थित पार्क के मेट्रो गेस्ट हाउस के अलग-अलग कमरों में ठहरे थे. विराटनगर से प्रकाशित नेपाली भाषा के अखबार उदघोष के 29 जनवरी, 2013 के अंक में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी.
हालांकि, जांच के दौरान पता चला कि मेट्रो गेस्ट हाउस के रजिस्टर के पन्ने को भी फाड़ दिया गया था, जिसमें इन तीनों की इंट्री थी. मामला सामने आने के बाद पटना हाईकोर्ट ने पूर्णिया के तत्कालीन जिला जज संजय कुमार से मामले की जांच कराई. जांच रिपाेर्ट में मामला सत्य पाए जाने के बाद हाईकोर्ट की स्टैंडिंग कमेटी ने तीनों को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी.
इस मामले में गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पटना उच्च न्यायालय के तत्कालीन महानिबंधक को पत्र लिखा था. इस मामले में पटना हाइकोर्ट के 7 जजों की पूर्ण पीठ ने 6 साल पहले आठ फरवरी 2014 को अपने फैसले में तीनों को चरित्रहीनता का दोषी मानते हुए बर्खास्त करने का फैसला किया था.