बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल अधिनियम पर बवाल, डीजीपी बोले-पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी
By एस पी सिन्हा | Updated: March 25, 2021 21:39 IST2021-03-25T21:38:08+5:302021-03-25T21:39:20+5:30
बिहार के डीजीपी एस.के.सिंघल, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और डीजी, बीएमपी, आर.एस.भट्ठी ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करके स्पष्ट किया.

बिहार मिलिट्री पुलिस अब बिहार सशस्त्र पुलिस के नाम से जानी जाएंगे. (file photo)
पटनाः बिहार विधानसभा में विधायकों को लात-जूते और थप्पड़ मारने वाले पुलिसवालों पर कार्रवाई की जाएगी.
बिहार के डीजीपी एस.के.सिंघल, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और डीजी, बीएमपी, आर.एस.भट्ठी ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करके स्पष्ट किया है कि जिन पुलिसवालों ने विधायकों के खिलाफ आवश्यकता से अधिक बल का प्रयोग किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान विधेयक के बारे में गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में 'यूज ऑफ फोर्स' की बात कहीं नहीं लिखी. अधिकारियों ने बताया कि यह विधेयक सिर्फ राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कुछ खास प्रतिष्ठानों की सूरक्षा के लिए है. उन्होंने कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के माध्यम से पुलिस सेवा को सशक्त बनाया जायेगा. बिहार मिलिट्री पुलिस अब बिहार सशस्त्र पुलिस के नाम से जानी जाएंगे.
बिहार सैन्य पुलिस को बिहार सशस्त्र पुलिस बल के रूप में नामांकित किया गया. सुरक्षा बल के रूप में इन्हें बिहार के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थान और महत्वपूर्ण उद्योग आदि की सुरक्षा दी गई है. यह इतना अनुशासित हो कि हर तरह की उग्रवादी या देशद्रोही घटना से लडने के लिए पूरी तरह हमेशा तैयार हो.
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने कहा कि महाबोधि मंदिर गया, एयर पोर्ट और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की सुरक्षा के लिए बिहार सैन्य पुलिस को शक्तियां दी जा रही है. इस विधयेक के तहत पुलिस तुरंत एक्शन ले इस लिए यह विधेयक लाया गया है. इससे आंतरिक सुरक्षा को बल मिलेगा. क्या बिहार विशेष सशस्त्र बल के अधिकारी और जवान किसी आरोपी के घर की तलाशी ले सकते हैं?
इस सवाल के जवाब में डीजीपी ने बताया कि एक्ट के तहत अधिसूचित प्रतिष्ठान जैसे एयरपोर्ट आदि जगहों पर किसी संदिग्ध के मिलने पर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल उसे गिरफ्तार करके जितना जल्दी संभव होगा स्थानीय पुलिस को सौंप देगा. यदि गिरफ्तारी के वक्त वहां सिविल पुलिस का कोई अधिकारी मौजूद है तो आरोपी को वहीं उसे सौंप दिया जाएगा.
आगे की सारी जांच स्थानीय पुलिस करेगी. विशेष सशस्त्र पुलिस बल का अधिकारी एक रिपोर्ट देगा कि उसने अमुक व्यक्ति की गिरफ्तारी क्यों और किन परिस्थितियों में की है. उन्होंने कहा कि इस बल का इस्तेमाल बेहद सीमित उद्देश्य से किया जाना है. राज्य सरकार द्वारा जिन प्रतिष्ठानों को अधिसूचित किया जाएगा उनकी सुरक्षा का जिम्मा इस बल पर होगा.
वहीं, डीजी बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) आरएस भट्ठी ने एक्ट की धारा-9 का उल्लेख करते हुए बताया कि इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि विशेष सशस्त्र बल किसी संदिग्ध को पकडकर बिना किसी विलम्ब के तुरंत स्थानीय पुलिस को सौंपेगा. मौके पर कोई पुलिस अधिकारी मौजूद है तो वहीं अन्यथा नजदीकी पुलिस थाने पर स्वयं ले जाकर या किसी को भेजकर कार्रवाई की जायेगी.
जबकि चैतन्य प्रसाद ने बताया कि सशस्त्र पुलिस बल के लोग भी यदि कोई कानून तोडते हैं तो उन्हें आईपीसी और सीआरपीसी की सुसंगत धाराओं के तहत दोषी साबित कर दंडित कराया जा सकेगा. यहां बता दें कि मंगलवार को बिहार विधानसभा में इसी बिल को लेकर घटना हुई थी. विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा द्वारा बुलाई गई पुलिसबल की एक बडी टीम ने विपक्ष के विधायकों को घसीट-घसीट कर लात-जूते और घूंसों से मारा था. इस दौरान महिला विधायकों के साथ भी काफी बर्बरता की गई थी. यहां तक कि उनकी साड़ी तक खुलने की नौबत आ गई थी.
लेकिन पुलिसवालों ने महिलाओं को भी नहीं छोड़ा और उन्हें बलपूर्वक घसीटते हुए सदन से बाहर फेंक दिया. इस गंभीर मामले पर चैतन्य प्रसाद ने कहा कि बिहार विधानसभा के परिसर में वहां के अध्यक्ष के आदेश पर बाहर से पुलिसबल को भेजा गया था. ताकि वे सदन में मार्शल को असिस्ट कर सके.
लेकिन फिर भी अगर वहां किसी भी पुलिसवाले ने आवश्यकता से अधिक विधायकों के खिलाफ बल का प्रयोग किया तो उनके खिलाफ निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन इसके लिए खुद विधानसभा के स्पीकर को ही कहना पडेगा, क्योंकि ये उनके अधिकार क्षेत्र में आता है. अगर वो जांच की बात कहेंगे तब ही दोषी पुलिसवालों के खिलाफ एक्शन लिया जायेगा.
डीजीपी एसके सिंघल ने भी गृह सचिव की बात को दुहराते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर ही इस मामले की जांच की जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि मीडिया फुटेज या अन्य किसी भी व्यक्ति के आरोपों को लेकर अब तक पुलिस की ओर से कोई भी जांच की पहल नहीं की गई है. चूंकि ये घटना विधानसभा में हुई और उन्होंने किया, जिन्हें खुद वहां के स्पीकर ने बुलाया. तो ऐसे में स्पीकर विजय सिन्हा के आदेश पर ही जांच या कार्रवाई की जाएगी.