भयावह तस्वीर! कोरोना काल में पटना में केवल 50 दिनों में 5 श्मशान घाटों पर जलाए गए 6000 से अधिक शव

By एस पी सिन्हा | Published: May 24, 2021 06:50 PM2021-05-24T18:50:34+5:302021-05-24T18:50:34+5:30

आंकड़े बताते हैं कि पटना में अप्रैल से अधिक मौतें मई महीने में अब तक हुई हैं. एम्स, पटना में अप्रैल से दोगुनी मौतें मई महीने के 22 दिनों में हुई हैं.

Bihar Patna corona period more than 6000 bodies burnt in only 50 days official record says | भयावह तस्वीर! कोरोना काल में पटना में केवल 50 दिनों में 5 श्मशान घाटों पर जलाए गए 6000 से अधिक शव

पटना में कोरोना काल में केवल 50 दिनों में जले 6000 से ज्यादा शव (फाइल फोटो)

Highlightsपटना के पांच श्मशान घाटों पर पिछले 50 दिनों के अंदर जलाए गए 6,088 शव इसमें 2841 कोरोना संक्रमित मरीजों के शव और इससे भी अधिक सामान्य शव शामिल रहेपटना के बांस घाट, खाजेकलां घाट और गुलाबी घाट पर 28 अप्रैल को एक दिन में सर्वाधित 240 कोरोना संक्रमित शव जलाए गए

पटना: कोरोना की दूसरी लहर ने बिहार में ऐसा कहर बरपाया है कि बिहार के अन्य इलाकों को छोड़ दें तो केवल राजधानी पटना के श्मशान घाटों पर कोरोना काल के 50 दिनों में 6000 से अधिक शव जलाए गए. इसमें कोरोना संक्रमण से हुई मौतों के अलावा अन्य कारणों से हुई मौतें के शव शामिल हैं. 

पटना में अप्रैल से अधिक मौतें मई महीने में अब तक हुई हैं. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल एम्स, पटना में अप्रैल से दोगुनी मौतें मई महीने के 22 दिनों में हुई हैं. हालांकि, कोरोना के नए मरीजों की संख्या में जहां रिकॉर्ड कमी आई है. बावजूद इसके मौतों का आंकड़ा भयावह स्थिती को दर्शाता है.

सूत्रों के अनुसार पटना के पांच श्मशान घाटों पर पिछले 50 दिनों के अंदर 6,088 शव जलाए गए हैं. जिसमें 2841 कोरोना संक्रमित मरीजों के शव तो इससे भी अधिक सामान्य शव शामिल थे. पटना के 5 घाटों के अलावा बाहर जलाने वाले शव और कब्रिस्तान में दफनाने वाले शवों को कोई आंकड़ा उपलब्ध नही हो सका है.

वैसे जानकारों की मानें तो बगैर किसी रिकॉर्ड के भी मरने वालों की संख्या स्थिती की भयावहता को दर्शाता है. ग्रामीण ईलाकों में हुई मौतों और उनका दाह संस्कार छोटे-मोटे घाटों और नदियों में कर दिये जाने के कारण उसका आंकडा मिल पाना मुश्किल है. 

मार्च के बाद अप्रैल में शवों की संख्या उछाल

पटना के सभी घाटों पर अब जलाने की सुविधा मिलने के कारण केवल बांस घाट पर नही लाकर अन्य श्मशान घाटों पर भी लोग शवों को ले जा रहे हैं. हालात के भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पटना के बांस घाट पर मार्च महीने से ही शवों की कतार लगनी शुरू हो गई थी. मार्च महीने में केवल इसी घाट पर कोविड शव जलाए जा रहे थे. 

बताया जाता है कि मार्च महीने 217 कोरोना संक्रमित शवों को तो 12 सामान्य शवों (जिनकी बगैर जांच मौत हुई थी) को जलाया गया था. इसके बाद अप्रैल महीने में चार गुणा से अधिक उछाला आ गया था और दाह संस्कार किए जाने वाले शवों की संख्या 1464 हो गई थी. जिसमें 939 कोरोना संक्रमित शव और 525 सामान्य शव थे. 

इसी तरह से मई महीने में 704 कोरोना संक्रमित शव जलाए गए और 127 सामान्य शवों का भी दाह संस्कार किया गया. 

28 अप्रैल को पटना के श्मशान घाटों पर 240 शव जलाए गए

पटना के गुलाबी घाट पर अप्रैल में 441 कोविड शव व 1029 नॉन कोविड शव जलाए गए.  मई महीने में 516 कोरोना संक्रमित शव और 542 सामान्य शवों का दाह संस्कार किया गया. यहां मार्च महीने में कोरोना संक्रमित शव नहीं जले, बावजूद इसके 504 सामान्य शव जलाए गए. इसके अलावा तीन अन्य घाटों पर भी कई शवों को जलाया गया. 

बांस घाट, खाजेकलां घाट और गुलाबी घाट पर 28 अप्रैल को एक दिन में 240 कोरोना संक्रमित शव जलाए गए थे. यह केवल अधिकारिक रिकार्ड की बात है. बगैर रिकार्ड के जलाये शवों की चर्चा कहीं है ही नही. हालांकि जानने वाले बताते हैं कि मौतों का आंकड़ा इससे कहीं और भी ज्यादा है.

Web Title: Bihar Patna corona period more than 6000 bodies burnt in only 50 days official record says

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