बिहार: कोरोना के कहर के बीच स्वाइन फ्लू से अब तक 300 से ज्यादा सुअरों की मौत, कुत्ते भी लगे हैं मरने
By एस पी सिन्हा | Published: March 20, 2020 05:57 AM2020-03-20T05:57:40+5:302020-03-20T05:57:40+5:30
प्राप्त जानकारी के अनुसार भागलपुर के विभिन्न ईलाकों से लगातार सुअरों के मरने की खबरे आ रही हैं. नगर निगम के स्वास्थ्य शाखा प्रभारी मो. रेहान ने बताया कि सुअरों के शवों को दफन कर वहां पर चूना व ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया गया है.
बिहार के कोरोना को ले घोषित किये गये महामारी एक्ट के बीच भागलपुर में सुअरों में फैले स्वाइन फ्लू के संक्रमण के बाद स्थिती भयावह हो गई है. शहर में सुअरों की मौत का आंकड़ा 300 के पार पहुंच गया है. भागलपुर में सुअरों की मौत का सिलसिला पिछले आठ दिनों से जारी है. इसबीच शेखपुरा जिले में कुत्तों के मरने की घटना भी सामने आने से हड़कंप मच गया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार भागलपुर के विभिन्न ईलाकों से लगातार सुअरों के मरने की खबरे आ रही हैं. नगर निगम के स्वास्थ्य शाखा प्रभारी मो. रेहान ने बताया कि सुअरों के शवों को दफन कर वहां पर चूना व ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया गया है.
पशुपालन विभाग ने पशुपालकों से सतर्क रहने को कहा है. विभाग ने तत्काल इसे क्लासिक स्वाइन फीवर बताया है. वहीं, जिला पशुपालन अधिकारी डॉ. शंभूनाथ झा ने स्वीकार किया कि स्वाइन फ्लू के टीकाकरण व सुअरों के वैक्सीनेशन की सुविधा यहां नही है. उन्होंने यह कड़वी सच्चाई भी स्वीकार की कि पूरे राज्य में सुअरों के वैक्सीनेशन की व्यवस्था नहीं है. संक्रमण से हर साल सुअरों की मौत होती है, कारण कि सुअर गंदगी के बीच पलते हैं.
सुअरों के एक-दूसरे के संक्रमण में आने से यह बीमारी तेजी से फैलती है. इसका संक्रमण छह से सात दिनों तक रहता है. उन्होंने बताया कि सुअरों का विसरा लिया गया है. कोलकाता व भोपाल में राष्ट्रीय स्तर के लैब हैं. कोलकाता लैब में विसरा भेजा गया है. छह दिनों में रिपोर्ट आने के बाद संक्रमण के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी. जिले में 16 हजार और शहर में 1404 सुअर हैं.
जिला पशुपालन विभाग ने बचाव के लिए बरारी व सुरखीकल मोहल्ले में सुअर पालकों के बीच दवा वितरण किया. पशु चिकित्सक राजीव कुमार ने बताया कि 90 सुअर पालकों को ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन दवा बांटी गई है.
बताया जाता है कि मायागंज में सुअर व मवेशी पालने वाले स्थानों पर पार्षद उमर चांद ने केमिकल का छिड़काव कराया है. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर व मायागंज के आसपास काफी संख्या में सुअरों की मौत हुई है. वहीं, कोरोना के खतरे से भी लोग सहमे हुए हैं. पशु चिकित्सक राजीव कुमार ने लोगों को सलाह दिया है कि सुअरों को संक्रमण से बचाने के लिए साफ-सुथरा रखें.
बीमार सुअर से स्वस्थ्य सुअर को अलग रखने का प्रयास करें. बीमार सुअरों के इलाज के लिए पशुपालन विभाग के चिकित्सकों से संपर्क करें और आवश्यकतानुसार दवा दें. जबकि जिला पशुपालन अधिकारी शंभू नाथ झा ने बताया कि शव को चार फीट तक गड्ढे में दफन करना जरूरी है. उन्होंने बताया कि सुअरों को दवा खिलाने के काम में सुअर पालक सहयोग नहीं कर रहे हैं. वह सुअरों दवा खिलाने में भी आनाकानी करते हैं. यदि उनसे दवा खिलाने के लिए सुअरों को पकड़ने की मांग की जाए तो वे पैसों की मांग करते हैं.
उधर, शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड अंतर्गत कुटौत और पिंजडी गांव में दो दर्जन कुत्तों की अचानक मौत होने से गांव वालों में डर का माहौल है. यहां पिछले एक सप्ताह में एक दर्जन से अधिक कुत्तों की मौत हो गई. कुटौत गांव में दर्जनभर कुत्तों की मौत हो गई. गांव वालों ने इसकी सूचना पशुपालन विभाग के अधिकारियों को दी. लेकिन विभाग ने अबतक कोई पहल नहीं की है.
गांव के दो अलग-अलग स्थानों पर दर्जनभर कुत्तों की मौत हो गई. गांव वालों ने कुत्तों के शवों को गड्ढा खोदकर दफना दिया गया. बताया जाता है कि कुत्ते पहले उल्टी करते हैं और फिर उनकी मौत हो जाती है. इस संबंध में बरबीघा पशु अस्पताल के चिकित्सक डॉ मंजीत कुमार ने बताया कि कुत्तों के बीमारी से मरने की बात सामने नहीं आई है. अचानक मरने की वजह जहर का सेवन हो सकता है. हालांकि मामले की जांच कराई जा रही है.