बिहार: शादी के अगले दिन ही लागू हो गया लॉकडाउन, 22 दिन से छपरा में फंसे हैं कोलकाता से आए 36 बाराती
By एस पी सिन्हा | Published: April 14, 2020 03:49 PM2020-04-14T15:49:55+5:302020-04-14T15:49:55+5:30
बिहार के बेगूसराय और नालंदा जिले में सोमवार को कोरोना संक्रमण के एक—एक नये मामले सामने आने के बाद प्रदेश में इस बीमारी के संक्रमित मरीजों की संख्या 66 हो गयी है. प्रदेश में कोरोना संक्रमित एक मरीज की मौत हो चुकी है.
पटना: एक गाना है, शादी कर फंस गया यार, अच्छा-खासा था कुंवारा. यह गाना आज बिहार के सारण (छपरा) जिले में फंसा दुल्हा को गाना पड़ रहा है. दरअसल, शादी के अगले दिन ही बिहार में लॉकडाउन की घोषणा होने के कारण 22 दिन से 36 बाराती एक गांव में फंसे हुए हैं. मामला छपरा जिले के मांझी इलाके की है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोलकता से बिहार के छपरा में बारात लेकर आए बरातियों ने शादी तो करा लिया, लेकिन दुल्हन को अपने घर लेकर जाने के साथ-साथ लगभग 36 लोग दुल्हन के घर ही रह गए. लॉकडाउन की वजह से सभी गाड़ियां बंद हो गई. जिसके बाद में ग्रामीणों ने बारातियों को लॉकडाउन तक पास के सरकारी स्कूल में ठहरा दिया. बारातियों के कष्ट को देखते हुए दुल्हन भी अपने मायके को छोड़ बारातियों के साथ कैंप में रह रही है. मांझी गांव के लोग इनकी काफी मदद कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि जिस दिन दूल्हे की बारात आई थी, उसके अगले ही दिन पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा भी हो गई.
यहां 22 दिनों से 36 बारातियों ने इस स्कूल में शरण लिए हुए हुए हैं. 21 दिन किसी तरह बिताने के बाद इन बारातियों का सारा पैसा खत्म हो चुका है. लिहाजा अब गांव वालों की मदद से ये लोग भोजन कर रहे हैं. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन की अवधि को फिर से 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है, जिसके बाद ये लोग परेशान हो गए हैं. सभी बाराती पश्चिम बंगाल के भिखमहि गांव से छपरा के मांझी आये थे. इन लोगों ने वापस लौटने के लिए प्रशासन से पास भी निर्गत कराया था. लेकिन झारखंड प्रशासन ने इनके पास को अमान्य करार देते हुए वापस लौटा दिया.
बारात में शामिल फिरोज का कहना है कि वे लोग लॉकडाउन में फंस चुके हैं, लेकिन मांझी के ग्रामीणों ने उनकी काफी मदद कर रहे हैं. अब गांव वालों की मदद से ये लोग भोजन कर रहे हैं. वहीं, ग्रामीण संजीव कुमार ने बताया कि ग्रामीणों की मदद से तमाम बारातियों को भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है. हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव छोड़कर तमाम लोग लॉकडाउन में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं. फिरोज का कहना है कि प्रशासन ने कोई मदद नहीं की. लेकिन आम लोगों की मदद से वे लोग अपना वक्त तरह से बिता रहे हैं. अब जबतक लॉकडाउन खत्म नही होगा इन लोगों को गांव के ही लोगों के भरोसे अपनी जिन्दगी बितानी होगी.