बिहार में चमकी बुखार ने लीची व्यवसाय पर लगाया ग्रहण, नहीं मिल रहे हैं लीची के खरीददार

By एस पी सिन्हा | Published: June 22, 2019 06:42 PM2019-06-22T18:42:20+5:302019-06-22T18:42:20+5:30

बताया जाता है कि मीडिया पर बच्चों में हो रही बीमारी की वजह लीची बताये जाने का प्रचार इतना ज्यादा किया गया कि आठ जून से इसकी बिक्री प्रभावित होने लगी।

Bihar: Litchi Market is severely affected by Chamki Fever, Farmers are waiting for Buyers | बिहार में चमकी बुखार ने लीची व्यवसाय पर लगाया ग्रहण, नहीं मिल रहे हैं लीची के खरीददार

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

बिहार में चमकी बुखार(एईएस) से चर्चा में आये लीची ने किसान और व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ा दी है. लोगों के बीच लीची की डिमांड कम हो गई है. बाजारों में लीची की बिक्री में गिरावट आ गई है. ऐसे में व्यापारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. इसे लेकर सरकार और विपक्ष अब आमने सामने है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर बिहार से दिल्ली, जयपुर व आगरा की मंडियों में भेजी गई लीची की बिक्री काफी प्रभावित हुई हैं. कारोबारियों की मानें तो लीची नहीं बिकने की स्थिति में व्यवसायी लीची फेंक कर लौट जा रहे हैं. लीची व्यवसाय से जुड़े एक कारोबारी के अनुसार आरा मंडी में भी एक हजार रुपये प्रति पेटी बिकने वाली लीची डेढ़ से दो सौ रुपये तक लेने का कोई तैयार नहीं है. वहीं, जो लीची यूपी के बलिया में व्यवसायियों से गद्दीदार एक हजार से 1300 रुपये पेटी खरीदते थे, वे अब उसकी कीमत तीन सौ रुपये भी देने को तैयार नहीं हैं. व्यवसायियों के अनुसार, दिल्ली की आजादपुर मंडी में देहरादून की लीची बिक रही हैं. लेकिन, बिहार की लीची खरीदने को कोई तैयार नहीं है. अब भी मुजफ्फरपुर के कुछ इलाके में 20 प्रतिशत से अधिक लीची किसानों के बगीचे में लगी हुई है. खरीदार नहीं मिलने व बाहर भेजने में भाडे की कीमत नहीं मिलने से किसान उसे नहीं तोड रहे हैं क्योंकि बिक्री की गारंटी नहीं है.  
 
बताया जाता है कि मीडिया पर बच्चों में हो रही बीमारी की वजह लीची बताये जाने का प्रचार इतना ज्यादा किया गया कि आठ जून से इसकी बिक्री प्रभावित होने लगी। 13 जून के बाद यह वायरल हुआ. हालांकि सोशल मीडिया से दूर रहने वाले लोग बाहर में भी लीची खा रहे है. एक कारोबारी ने कहा कि दिल्ली की मंडी के गद्दीदार आठ सौ से 13 सौ रुपये प्रति पेटी कीमत दे रहे थे. लेकिन, गुरुवार के बाद से डेढ़ सौ रुपये पेटी देने को तैयार नहीं हैं. लीची व्यवसायी आशीष सिंह ने बताया कि लीची नहीं बिकने के कारण आजादपुर मंडी गद्दी को बंद कर दिया है. वहीं, मुजफ्फरपुर में हो रहे बच्चों की मौत की वजह अब भी एक पहेली बनी हुई है. मौत के कारणों की तलाश में डॉक्टर और वैज्ञानिक दिन रात लगे हुए है. इन सब के बीच में लीची की चर्चा ने अब किसान और व्यपारियों की मुश्किलें बढ़ा दी है. इसे लेकर विपक्ष अब सरकार को घेरने में लगा है. 

वहीं, मुजफ्फरपुर मामले को लेकर जहां विपक्ष सरकार पर आक्रामक है तो वहीं लीची को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने में लगा है. राजद के वरिष्ठ नेता सह पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिना आधिकारिक जांच किये लीची को लेकर जिस तरह की बात कही जा रही है, उससे किसान और व्यवसाईयों को आर्थिक तंगी का सामना करना प रहा है. इसलिए सरकार लीची किसानों को मुआवजा देने की घोषणा करे. हालांकि, किसानों के नुकसान की बात को कृषि मंत्री ने साफ नकारा है. मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि इंसेफलाइटिस की मुख्य वजह लीची है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए कृषि विभाग ने मुजफ्फरपुर में कृषि वैज्ञानिकों की टीम भेजा है. रिपोर्ट आने के बाद विभाग एक एडवाइजरी जारी करेगी और लोगों को लीची के कारण हो रहे बीमारी से अवगत कराएगी.

इसबीच, मुजफ्फरपुर में एईएस यानी चमकी बुखार के कहर के बीच न्यूरोलॉजिकल बीमारी के संदर्भ में हुए एक शोध में खुलासा हुआ है कि इस रोग का प्रमुख कारण लीची का सेवन करना है. द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ मेडिकल जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंस्लोपैथी यानी दिमागी बुखार के फैलने में लीची जिम्मेदार होती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीमारी की चपेट में आए इलाकों में जिन बच्चों ने रात का खाना स्किप किया है और लीची ज्यादा खा ली हो, उनके हाइपोग्लैसीमिया के शिकार होने का खतरा ज्यादा हो जाता है.

Web Title: Bihar: Litchi Market is severely affected by Chamki Fever, Farmers are waiting for Buyers

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