पटना: पांच दिनों तक चलने वाला बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र हंगामेदार साबित हुआ. अग्निपथ को लेकर विपक्षी दलों के द्वारा किये गये विरोध प्रदर्शन के चलते सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ गई. सत्र के अंतिम गुरुवार को भी विपक्ष ने अग्निपथ योजना के खिलाफ सदन में जोरदार प्रदर्शन किया.
इस दौरान राजद के साथ खड़े वाम दलों ने अग्निपथ योजना पर सदन के अंदर चर्चा को लेकर लगातार प्रदर्शन किया तो वहीं कांग्रेस ने भी अग्नीपथ योजना के विरोध का झंडा बुलंद करते हुए हंगामा किया. विधान परिषद में भी यही स्थिती रही.
विधानमंडल के दोनों सदनों में तमाम विपक्षी दलों का एजेंडा एक ही था। मोदी सरकार की तरफ से लागू की गई अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन होता रहा। एक तरफ जहां राजद और वामदल एक साथ खड़े दिखे तो वहीं कांग्रेस अपने बूते अकेले प्रदर्शन करती नजर आई। कारण कि कांग्रेस के पास कोई अलग से एजेंडा नहीं था, इसलिए वह भी राजद के पीछे-पीछे चलने को मजबूर हुई.
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के पहले जब विपक्षी दल पोर्टिको में प्रदर्शन कर रहे थे, तो राजद के विधायक के एक तरफ खडे थे. वहीं कांग्रेस के विधायकों ने भी थोड़ी दूरी बनाते हुए अलग से प्रदर्शन किया, लेकिन मुद्दा एक ही था. वह केवल अग्निपथ. मांगी एक थी, लेकिन प्रदर्शन के लिए दोनों विपक्षी दल एकजुट नजर नहीं आए. सभी हाथों में तख्तियां और पोस्टर लेकर विरोध जता रहे थे.
उधर, विधानपरिषद में भी इस कदर हंगामा हुआ कि सदन को सुचारू रूप से चलाना मुश्किल हो गया।. इस दौरान हंगामा कर रहे राजद विधायकों को कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने खरी-खरी सुना दी. कार्यकारी सभापति ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि जिन्होंने रेलवे की संपत्ति जलाई उन्हें क्या माला पहनाई जाएगी? भारी हंगामे के बीच दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित कर दी गई.