बिहार के नालंदा जिले में जज ने सुनाया ऐसा फैसला कि पूरे देश में हो रही तारीफ, जानें पूरा मामला

By एस पी सिन्हा | Published: February 26, 2021 08:36 PM2021-02-26T20:36:54+5:302021-02-26T20:38:38+5:30

अदालत ने लड़की के सास-ससुर को निर्देश दिया कि वे अपनी बहू एवं पोते की उचित देखभाल करे एवं उपचार कराएं। आरोपित लड़के को भी इसलिए आरोप मुक्त कर दिया गया, क्योंकि उसे बाल सुधार गृह में रखने के निर्णय से उसके परिवार के बिखरने का खतरा है।

Bihar judge decision praised all over the country | बिहार के नालंदा जिले में जज ने सुनाया ऐसा फैसला कि पूरे देश में हो रही तारीफ, जानें पूरा मामला

प्रतीकात्मक तस्वीर। (फाइल फोटो)

Highlightsकोर्ट ने पाया कि वह पत्नी और बच्चे की उचित देखभाल करने में सक्षम है।इस फैसले के बाद लड़का-लड़की बेहद खुश नजर आये। दोनों खुशी-खुशी अपने घर चले गये। अब इस फैसले की सर्वत्र चर्चायें हो रही हैं।

पटना,26 फरवरीबिहार के नालंदा जिले के किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए नाबालिग प्रेमी जोड़े की शादी को जायज ठहराया है। इसतरह से नाबालिग की शादी को मान्यता देने वाला देश का शायद यह पहला फैसला होगा। इस मामले की सुनवाई दो साल चली। न्याय परिषद ने यह फैसला नवजात एवं उसकी मां के जीवन की सुरक्षा को देखते हुए लिया है। 

इसके साथ ही किशोर न्याय परिषद ने यह शर्त लगा दी है कि नाबालिग की शादी के दूसरे मामले में इस फैसले की नजीर बाध्यकारी नहीं होगी। बताया जाता है कि नालंदा जिले के नूरसराय थाना क्षेत्र के एक गांव की 16 वर्षीया एक लडकी दूसरी जाति के 17 वर्षीय प्रेमी के साथ भाग गई थी। इस मामले में लड़की के पिता ने लड़का और उसके माता-पिता सहित उसकी दो बहनों को नामजद करते हुए शादी की नीयत से नाबालिग लड़की का अपहरण करने का आरोप लगा स्थानीय पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 

अदालत ने इस मामला को किशोर न्याय परिषद को स्थानांतरित कर दिया था। पुलिस अनुसंधान के क्रम में आरोपित लड़का की मां, पिता एवं दोनों बहनों पर इस अपराध में संलिप्त रहने का आरोप सिद्ध नहीं हुआ था। इसके बाद कथित अपहृता ने भी घटना के छह महीने बाद 13 अगस्त 2019 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर कही थी कि उसका अपहरण नहीं हुआ था, वह स्वेच्छा से प्रेमी संग भागी थी। उसने कहा कि मेरे माता-पिता मेरी इच्छा के विरुद्ध शादी करना चाहते थे। 

लड़की ने कोर्ट से कहा कि मैं प्रेमी के साथ शादी कर पिछले छह महीने से दम्पति के रूप में बाहर रह रही हूं। इस दौरान मैं गर्भवती भी हो गई थी, लेकिन गर्भपात हो गया। अब वह फिर चार माह के नवजात बच्चे की मां है। इधर, आरोपी किशोर ने भी किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने पाया कि लड़की के पिता उसे अपनाने से इनकार कर चुके हैं। 

लड़की की उम्र 18 और लडके की 19 वर्ष हो चुकी है। लड़की को उसके पिता के घर जाने के लिए बाध्य भी नहीं किया जा सकता है। जबकि उसके पिता का कहना है कि अब वे बेटी को भूल चुके हैं और उसे बेटी नहीं मानते हैं। ऐसे में उसे पिता के घर भेजा गया तो ऑनर किलिंग की घटना की संभावना है। ऐसे में लड़की, उसका चार माह का पुत्र के सर्वोत्तम हित को देख इस शादी को जायज माना। उसे अपने पति के घर जाने की अनुमति दी। 

Web Title: Bihar judge decision praised all over the country

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